डॉ. के. परमेश्वरन
मदुरई जिले के वेल्लिमलाईपट्टी कोट्टमपट्टी खंड की पुनर्वास बस्ती सितरारूविपत्ति में ऐसा लगता है कि जैसे आधी रात को सूरज निकला हो। सितरारूविपत्ति, मदुरई से लगभग 39 किलोमीटर दूर अलागारकोविल संरक्षित वन क्षेत्र के पास स्थित एक छोटी सी बस्ती है।
बस्ती के एक मामूली किसान अय्यावू और अन्य के लिए पिछली 7 सितम्बर का दिन कभी न भूलने वाला दिन है। बस्ती के लिए वास्तव में यह ''तमसो मा ज्योतिर्गमय'' यानि अंधकार से प्रकाश की ओर जाने जैसा दिन था। यह सौर प्रकाश प्रणाली की देन थी। जिस समय सौर प्रकाश का स्विच ऑन किया गया, तो वहां इकट्ठे हुए बच्चों ने जोर-जोर से तालियां बजाई और किलकारियां भरीं। शायद उन्हें लगा कि अब वे मिट्टी के तेल से जलने वाले लैंपों को हमेशा के लिए अलविदा कह देंगे।
सितरारूविपत्ति बस्ती के सभी निवासी मामूली छोटे किसान हैं, जो खेती करते हैं और विशेष रूप से सब्जियां और फल उगाते हैं। बस्ती में 30 बच्चे हैं, जिनमें से 20 रोजाना लगभग 4 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते हैं। अब तक वे रात को घर में अपनी पढ़ाई के लिए मिट्टी के तेल के लैंपों का ही इस्तेमाल करते थे।
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), इंडियन ओवरसीज़ बैंक और 2011 के मैगसेसे पुरस्कार विजेता हरीश हांडे द्वारा स्थापित उद्यम सेल्को सोलर के समन्वित प्रयासों से दूरदराज की इस बस्ती में घरों के लिए सौर प्रकाश प्रणाली शुरू की गई। मदुरई में नाबार्ड के उप-महाप्रबंधक श्री एस.नटराजन ने एक भव्य समारोह में इस सौर प्रकाश प्रणाली का शुभारम्भ किया था। उन्होंने आग्रह किया था कि दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा प्रणालियों के लिए और ज्यादा बैंकों को आर्थिक सहायता के लिए आगे आना चाहिए। नाबार्ड, मदुरई के सहायक महाप्रबंधक श्री आर.शंकर नारायण ने कहा कि सरकार के जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के अंतर्गत इंडियन ओवरसीज़ बैंक ने नवीन और नवीनीकृत ऊर्जा मंत्रालय की 40 प्रतिशत सब्सिडी दी है। यह सब्सिडी नाबार्ड के माध्यम से दी गई। लाभार्थी को केवल 10 प्रतिशत का निवेश करना पड़ा।
सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए और बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उपकरणों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन शुरू किया गया है। मार्ग निर्देशों के अनुसार सौर युनिटों की स्थापना शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में की जा सकती है और इसके लिए घरेलू प्रकाश प्रणाली या इनर्वटर पर आधारित प्रणाली का मॉडल अपनाया जा सकता है, जो एसी के सामान्य लोड को संभाल सकें। लाभार्थी इस योजना के अंतर्गत पूंजी पर 40 प्रतिशत की सब्सिडी ले सकते हैं।
ऋण की राशि सीधे मंत्रालय द्वारा अनुमोदित विनिर्माताओं को दी जाएगी। सब्सिडी सहित ऋण की स्वीकृति के बाद बैंक नाबार्ड से पूंजीगत सब्सिडी जारी करने का अनुरोध करेगा। नाबार्ड से सब्सिडी की राशि प्राप्त होने पर बैंक विनिर्माताओं को सीधे ऋण की राशि दे देगा, जो मंत्रालय द्वारा अनुमोदित मानकों के अनुसार सोलर प्रकाश प्रणाली की स्थापना करेगे।