वी. पी. प्रभाकर
पिछले एक सौ पचास वर्षों से डाक विभाग भारत की संचार व्यवस्था और सामाजिक आर्थिक विकास का आधार रहा है। इसलिए हर नागरिक के जीवन को प्रभावित किया है। डाक, बैंकिंग, बीमा, पैसे का अंतरण अथवा फुटकर सेवाओं के जरिए यह हर नागरिक के जीवन से जुड़ा रहा है। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी डाक व्यवस्था है और 31 मार्च, 2011 की स्थिति के अनुसार यहां पर एक लाख 54 हजार 866 डाक घर हैं, जिनमें से एक लाख 39 हजार 40 (89.78 प्रतिशत) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। औसतन एक डाक घर अपने आस-पास के 21.23 वर्ग किलोमीटर इलाके में सेवाएं देता है और हर डाकघर से 7 हजार 814 लोग (5992 ग्रामीण क्षेत्रों में और 23 हजार 828 शहरी इलाकों में) सेवा प्राप्त करते हैं।
डाक विभाग का मुख्य काम है डाक को प्रोसेस करना, भेजना और सौंपना। यह देश के विभिन्न भागों में स्थित 5.7 लाख लेटर बॉक्सों से इकट्ठी की जाती है। डाक कार्यालयों में इसकी प्रोसेसिंग होती है और रेल, सड़क और विमानों द्वारा इसे देश के विभिन्न भागों में भेजा जाता है। टैक्नोलोजी से ग्राहकों को होने वाले अनेक लाभों को ध्यान में रखते हुए अब इस विभाग की अनेक सेवाओं का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है, ताकि ग्राहक को एकल खिड़की पर बिना अतिरिक्त खर्च किये तुरंत सेवाएं मिल सके।
डाक की मात्रा वर्ष 2010-11 के दौरान डाक विभाग ने 177.9 मिलियन रजिस्टरी चिटिठयां, 6157.6 मिलियन गैर-रजिस्टरीसुदा डाक और 281 मिलियन प्रीमियम प्रोडक्ट् (स्पीड पोस्ट्स और एक्सप्रेस पार्सल) की रखरखाव की।
डाक तंत्र के ऑप्टीमाइजेशन की योजना
स्कीम के एक अंग के रूप में डाक विभाग ने डाक व्यवस्था का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने की योजना बनाई है। इसके जरिए मेल प्रोसेसिंग की गुणवत्ता, प्रेषण और और सुपुर्दगी में सुधार लाया जाएगा। परियोजना के जरिए डाक विभाग की मेल व्यवस्था से ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाया जाएगा, ताकि आधारभूत डाक संचालन ठीक-ठाक किये जा सके। इसके जरिए ज्यादा मानकीकरण और मेल प्रोसेसिंग, प्रेषण और सुपुर्दगी की प्रक्रिया में ज्यादा सुधार लाया जा सकेगा।
प्रथम चरण में डाक विभाग इस परियोजना से लाभान्वित होगा और बाद वाले चरण में अन्य डाक सामग्री पर ध्यान दिया जाएगा। इसका उद्देश्य डाक संचालन की गुणवत्ता में सुधार लाना है।स्वचालित डाक प्रोसेसिंग केन्द्रों की स्थापना
डाक विभाग एक ऐसे प्रस्ताव पर काम कर रहा है, जिसके अंतर्गत मेट्रो शहरों में डाक की छंटाई आसान बनाने के लिए स्वत: काम करने वाले मेल प्रोसेसिंग सेन्टर खोले जाएंगे। एक मशीन लगाई जाएगी, जिसके जरिए एक घंटे में 35 हजार डाक सामग्री की छंटाई हो सकेगी, जबकि मिक्स्ड मेल सार्टर हर घंटे 16 हजार चीजों की छंटाई कर सकेंगे। मिक्स्ड मेल सार्टिंग मशीनों से बड़ी मात्रा में पत्रों, पैकेटों और पार्सलों की छंटाई की जा सकेगी और इस काम से ऑप्टिकल करेक्टर रिकग्नीशन टैक्नोलोजी का इस्तेमाल होगा।
इस प्रक्रिया से डाक विभाग को डाक व्यवस्था और अन्य छंटाई के कार्य आसानी से करने में मदद मिलेगी। दिल्ली और कोलकाता में ऐसी मशीनें लगाई जा रही हैं।राष्ट्रीय पता सांख्यिकी प्रबंधन व्यवस्था की स्थापना
इस परियोजना के अंतर्गत ग्राहकों के पते संबंधी आंकड़ों के प्रभावी प्रबंधन के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय पता सांख्यिकी प्रबंधन व्यवस्था कायम की जा रही है। यह परियोजना दिल्ली और कोलकाता में पूरी की जा चुकी है।
प्रोजेक्ट ऐरो
इस परियोजना के अंतर्गत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सेवाएं बढ़ाने के उद्देश्य से डाकघरों को ऐसा बनाया जाएगा की वह बेहतर दिखाई दें। इसके लिए काम करने वाले कर्मचारियों और ग्राहकों के लिए अच्छा माहौल बनाया जाएगा। आईटी इनेबल्ड सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी और सेवा की गुणवत्ता सुधार जाएगा। डाक बचत योजनाओं को बेहतर बनाया जाएगा। अब तक इस परियोजना से 15 हजार 500 से ज्यादा डाकघर लाभान्वित हो चुके हैं और 1530 डाकघर सुधारे जा चुके हैं। डाक विभाग ने वर्ष 2008-09 से एक प्रधानमंत्री श्रेष्ठता पुरस्कार योजना शुरू की है।
व्यापार विकास और विपणन
विशेषकर सेवा क्षेत्र में भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के मांग को पूरा करने के लिए डाक विभाग ने कई नए उत्पाद और सेवाएं जैसे स्पीड पोस्ट, एक्सप्रेस पार्सल पोस्ट, बिजनेस पोस्ट, बिल मेल, ई-पोस्ट, शुरू की है। विपणन पर अत्यधिक ध्यान देने के लिए वर्ष 2004-05 में व्यापार विकास एवं विपणन निदेशालय की स्थापना की गई। वर्तमान में इस निदेशालय के पास स्पीड पोस्ट एवं विपणन प्रभाग और व्यापार उत्पाद प्रभाग हैं।
रिटेल पोस्ट रिटेल पोस्ट के शुरू होने से डाक देशभर में डाक विभाग के डेढ़ लाख से ज्यादा डाक कार्यालय कार्य कर रहे हैं। रिटेल पोस्ट के सेवाओं के अंतर्गत बिजली बिल, टेलीफोन बिल, कर और अन्य शुल्क जमा किये जाते हैं। पोस्टल नेटवर्क के जरिए राज्य लोकसेवा आयोग, यूपीएससी, विश्वविद्यालय और विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के आवेदन पत्रों की बिक्री की जाती है, इसके अलावा सोने के सिक्के, रेलवे टिकट की बिक्री, फोरेक्स, मेल आदेश सेवा के जरिए उत्पादों की बिक्री के साथ-साथ दूरसंचार एवं गैस कंपनियों के लिए निवास स्थान के पता का सत्यापन भी किया जा रहा है।
लोगों में वित्तीय जागरूकता लाने के लिए चयनित डाक कार्यालयों में एलसीडी टीवी लगाने के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर भी किये गए हैं।
वर्ष 2011-12 (अप्रैल, 2011 से दिसम्बर, 2011 तक) कि अवधि के दौरान 179 डाक कार्यालयों और डाक नेटवर्कों के जरिए 1.3 मिलियन रेल टिकटों की बिक्री की गई।
वित्तीय सेवाएं पोस्ट ऑफिस बचत बैंक (पीओएसबी) देश में सबसे पुराना और सबसे बड़ा बैंकिंग संस्थान हैं। इसके द्वारा एक लाख 54 हजार से अधिक डाक कार्यालयों में 238 मिलियन बचत खातों को संचालन किया जा रहा है। ये योजनाएं भारत के वित्त विभाग की ओर से डाक विभाग द्वारा चलाया जाता है। अपने नेटवर्क के जरिए पोस्ट ऑफिस सेविंग बैंक अपने विभिन्न योजनाओं के जरिए लोगों को अपने बचत को जमा करने का एक साधन उपलब्ध कराता है। इसकी पहुंच और सेवाएं किसी भी अन्य बैंकिंग एजेंसी से बिल्कुल अलग है। वित्त मंत्रालय डाक विभाग को बचत बैंक कार्य के लिए समय-समय पर निश्चित दर पर पारिश्रमिक देता है।
देशभर में डाक कार्यालयों से 8 बचत योजनाएं चलाई जा रही हैं। 31 मार्च, 2011 तक सभी राष्ट्रीय बचत योजनाओं के तहत कुल 6189.26 मिलियन बकाया जमा है।
दस वर्षीय राष्ट्रीय बचत सर्टिफिकेट (9वां परिचालन)
यह नई योजना एक दिसम्बर, 2011 को शुरू की गई, जिसमें 8.7 प्रतिशत की छमाही चक्रवृद्धि ब्याज शामिल है, लेकिन भुगतान परिपक्वता के बाद ही किया जाता है। इस योजना के तहत भारतीय आयकर अधिनियम के खंड 80-सी के तहत आयकर पर छूट देने का प्रावधान है। इस पर ब्याज की गणना वार्षिक रूप से की जाती है, लेकिन पुनर्निवेश पर आयकर छूट का भी प्रावधान है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीए) 2005 में आंध्र प्रदेश सर्किल से शुरू की गई इस योजना के तहत मजदूरी का भुगतान दिल्ली, जम्मू एवं कश्मीर तथा तमिलनाडु सर्किल को छोड़कर 19 डाक सर्किलों के डाक खातों के जरिए किया जा रहा है। 30 दिसम्बर, 2011 तक डाक कार्यालयों में लगभग 53.5 मिलियन एमजीएनआरईजीए खाते खोले गए हैं।
ग्रामीण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की गणना के लिए डाटा संग्रह
प्रति माह 1181 गांवों के लिए ग्रामीण उपभोक्ता मूल सूचकांक की गणना के लिए डाका संग्रह किया जाता है। संबंधित डाक शाखा पोस्ट मास्टर प्रत्यक गांव के लिए नियत सप्ताह पर स्थानीय बाजार से 185 से 292 वस्तुगत मूल्यों की गणना करता है।
डाक जीवन बीमा (पीएलआई) यह सेवा नागरिक एवं केन्द्र एवं राज्य सरकारों के सैन्य कर्मचारी, स्थानीय निकायों, सरकारी सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों, स्वायतशासी संस्थाओं, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के कर्मचारियों के जरूरतों को पूरा करता है। ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) योजना ग्रामीण जनसंख्या को लाभान्वित करता है। पीएलआई के तहत औसतन 46,86,245 बीमाएं हैं और इनकी कुल बीमित राशि 640,778 मिलियन है। आरपीएलआई के तहत 1,22,03,345 बीमाएं हैं और कुल बीमित राशि 661,322.3 मिलियन है।
फिलाटेली (डाक टिकट संग्रहण) 2011 में कुल 43 परिचालनों में 61 डाक टिकट जारी किए गए जिनमें स्मार टिकट/ विशेष डाक टिकट शामिल हैं।
वित्तीय प्रबंधन
बचत बैंक कार्य की पारिश्रमिक और नगद सर्टिफिकेट के बिक्री से प्राप्त राजस्व 69623.32 मिलियन रुपये रहा तथा अन्य मंत्रालयों /विभागों से एजेंसी शुल्क के रूप में 4857.21 मिलियन रुपये राजस्व की प्राप्ति हुई। 2010-11 में सकल कार्य व्यय 137963.69 मिलियन रुपये (अर्थात लगभग 3.35 प्रतिशत की वृद्धि) रहा। यह वृद्धि मुख्य रूप से मंहगाई भत्ता/मंहगाई सहायता और पेंशन शुल्क अदायगी के कारण हुई। वेतन और पेंशन शुल्कों में वृद्धि के बावजूद इस विभाग का घाटा 63456.16 मिलियन रुपये रहा, जो पिछले वर्ष अर्थात 2009-10 के दौरान 66413.04 मिलियन रुपये था।
डाक वस्तुएं जैसे पोस्टकार्ड, चित्रित पोस्टकार्ड, अंतरदेशीए पत्र, पंजीकृत पत्र, समाचार पत्र-एकल, पंजीकृत समाचार पत्र बंडल, बुक पोस्ट (बुक पैट्रन तथा नमूने पैकेट), बुक पोस्ट (चित्रित किताबें), बुक पोस्ट अन्य (पिरियोडिकल्स), पावती, पंजीकरण, स्पीड पोस्ट, मूल्य भुगतान पोस्ट, मनि-आर्डर तथा इंडियन पोस्टल ऑर्डर जैसी वस्तुएं विभाग द्वारा काफी कम मूल्य पर उपलब्ध कराई जाती हैं।