फ़िरदौस ख़ान
इतिहास की सबसे बुरी औद्योगिक त्रासदी कहे जाने वाले भोपाल गैस कांड को 29 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन इतने अरसे तक इंसाफ़ की राह तकते-तकते पीड़ितों की आंखें पथरा गई हैं. हालत यह है कि इस मामले में भोपाल सीजेएम कोर्ट का आज आया फ़ैसला भी पीड़ितों के ज़ख़्मों पर मरहम नहीं लगा पाया. भोपाल गैस त्रासदी मामले में अदालत ने आठ आरोपियों को दोषी क़रार देते हुए उन्हें दो-दो साल की सज़ा सुनाई और एक-एक लाख जु्र्माने भी लगाया, लेकिन सज़ा सुनाए जाने के कुछ मिनट बाद ही 25 हज़ार रुपये के मुचलके पर सात दोषियों को ज़मानत भी मिल गई. इसमें यूनियन कार्बाइड से जुड़े केशव महिंद्रा, वीपी गोखले, किशोर कामदार, एसपी चौधरी, आरबी रॉय चौधरी, केवी शेट्टी, जे मुकुंद और एसआई क़ुरैशी शामिल हैं.

इतने लंबे अरसे के बाद और कम सज़ा वाले प्रावधान में दोषी ठहराए जाने के फ़ैसले को लेकर पीड़ितों में आक्रोश पनप रहा है. उनका कहना है अभी उनका संघर्ष जारी रहेगा. उन्‍होंने भोपाल में अदालत के बाहर अपने गुस्‍से का इज़हार करते हुए देश की लचर क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाए. उनका यह भी कहना है कि सीबीआई ने इस मामले में गंभीरता नहीं बरती, जिसकी वजह से आरोपी साफ़ बच निकले हैं. उन्हें मलाल है कि 29 साल लंबी लड़ाई की बावजूद भी उन्हें इंसाफ़ नहीं मिल पाया है, क्योंकि मुख्‍य अभियुक्‍त अभी भी क़ानून की की पकड़ से बाहर हैं. उनका कहना है कि सरकार लगातार कंपनी को मदद करती रही और मुख्‍य अभियुक्‍त (वारेन एंडरसन) को क़ानून के कठघरे में खड़ा करने की एक को‍शिश नहीं की गई.

क़ाबिले-गौर है कि मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में 2 दिसंबर, 1984 की रात को एक ख़ौफ़नाक औद्योगिक हादसा हुआ, जिसे भोपाल गैस कांड के नाम से जाना जाता है. यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की सहायक कंपनी यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के स्वामित्व वाले कीटनाशक संयंत्र में संग्रहित क़रीब 40 टन मिथाइल आइसोसायनेट (एमआईसी) फ़ैक्टरी से रिसी गैस से हज़ारों लोगों की मौत हो गई थी और असंख्य लोग अंधे हो गए थे. इस रिसाव से पांच लाख से ज़्यादा लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे. यह हादसा इतना ख़तरनाक था कि इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी देखने को मिला. बच्चे अपंग पैदा हुए और कितने ही महिला-पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर भी विपरीत असर पड़ा.

क़ाबिले-ग़ौर है कि भोपाल शहर में 2 दिसंबर, 1984 की रात को यूनियन कार्बाईड नामक कम्पनी के कारखाने से बेहद ज़हरीली मिथाइल आइसोनेट गैस का रिसाव हुआ. तीन दिसंबर 1984 को हादसे की प्राथमिकी दर्ज की गई. एक दिसंबर 1987 को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा यूसीसी अध्यक्ष वारेन एंडरसन समेत 12 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दाख़िल किया गया. 6 जुलाई, 1988 को भोपाल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने अमेरिकी प्रशासन से कहा कि सीबीआई को यूसीसी के वर्जीनिया स्थित कीटनाशक संयंत्र में सुरक्षा मानकों का अध्ययन करने की इजाज़त दी जाए, ताकि वर्जीनिया और भोपाल में सुरक्षा मानकों की तुलना की जा सके. नौ फ़रवरी 1989 को सीजेएम द्वारा बार-बार सम्मन को नज़र अंदाज़ करने पर वॉरेन एंडरसन के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किए गए. 14 फ़रवरी, 1989 को अमेरिका प्रशासन ने सीबीआई को सुरक्षा मानकों का अध्ययन करने की अनुमति दी. 3 अक्टूबर, 1991 को सुप्रीम कोर्ट रिट याचिकाओं के आधार पर यूसीसी और अन्य आरोपियों को आपराधिक मामलों में दी गई छूट वापस ली. 11 नवंबर 1991 को सभी आरोपियों के ख़िलाफ़ सभी आपराधिक मामले एक बार फिर सीजेएम अदालत में खुले. एक जनवरी 1992 को वाशिंगटन पोस्ट, अमेरिका में सीजेएम भोपाल के सामने एंडरसन को पेश किए जाने का ऐलान प्रकाशित.

इसके बाद 27 मार्च 1992 को सीजेएम ने एंडरसन के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट जारी करते हुए भारत सरकार को आदेश दिए कि अमेरिका से एंडरसन का प्रत्यर्पण किया जाए. 22 जून, 1992 को सीजेएम ने सभी आरोपियों को 17 जुलाई, 1992 के पहले सत्र अदालत के सामने पेश होने या मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया. 19 नवंबर, 1996 को सीबीआई ने प्रत्यर्पण संबंधी उठाए कदमों के बारे में सीजेएम के सामने बयान दर्ज कराए. फ़रवरी 2001 में डॉव केमिकल ने यूनियन कार्बाइड का अधिग्रहण किया, लेकिन गैस त्रासदी से यह कहकर किनारा किया कि उस वक़्त फैक्टरी पर उसका मालिकाना हक़ नहीं था. मई-जून 2003 में भारत सरकार ने अमेरिका से एंडरसन के प्रत्यर्पण का आग्रह किया. 13 जुलाई, 2004 को अमेरिका ने एंडरसन के प्रत्यर्पण से करते हुए भारत के आग्रह को ख़ारिज कर दिया. जनवरी 2006 में सीबीआई ने 178 गवाहों के बयान पूरे किए. एक जून, 2009 को सीजेएम ने एंडरसन के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किए. छह से 13 मई, 2010 तक मामले की सुनवाई ख़त्म हो गई. सात जून 2010 को गैस कांड मामले में अदालत ने सभी आठ आरोपियों को दोषी क़रार देते हुए दो-दो साल की सज़ा सुनाई और एक-एक लाख जु्र्माने भी लगाया गया, लेकिन सज़ा सुनाए जाने के कुछ मिनट बाद ही 25 हज़ार रुपये के मुचलके पर सात दोषियों को ज़मानत भी मिल गई.

सरकार पर पीड़ितों की अनदेखी के आरोप लगते रहे हैं. आरोप यह भी है कि इतने भीषण हादसे के बावजूद दोषियों के ख़िलाफ़ कारवाई नहीं की गई. बताया जाता है कि हादसे के वक़्त एंडरसन यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन (यूसीसी) का मुख्य कार्यकारी अधिकारी था. इस हादसे में 3,500 लोगों की मौत उसी वक़्त मौत हो गई थी. स्वयंसेवी संगठनों के मुताबिक़ दुर्घटना के 72 घंटों के भीतर 10,000 लोग मौत का शिकार हो गए थे और अब तक क़रीब 25,000 इस हादसे की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. सनद रहे कि यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड की स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी. इसकी 50.9 फ़ीसद हिस्सेदारी यूनियन कार्बाइड के पास और 49.1 प्रतिशत हिस्सेदारी भारतीय निवेशकों के पास थी. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान भी शामिल थे.

बहरहाल, गैस कांड के पीड़ित सरकारी और प्रशासनिक अवहेलना के दंश को झेलने को मजबूर हैं. इनका संघर्ष कब तक जारी रहता है और क्या इन्हें इंसाफ़ मिल पाता है या नहीं यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा. (स्टार न्यूज़ एजेंसी)


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • नजूमी... - कुछ अरसे पहले की बात है... हमें एक नजूमी मिला, जिसकी बातों में सहर था... उसके बात करने का अंदाज़ बहुत दिलकश था... कुछ ऐसा कि कोई परेशान हाल शख़्स उससे बा...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • डॉ. फ़िरदौस ख़ान - डॉ. फ़िरदौस ख़ान एक इस्लामी विद्वान, शायरा, कहानीकार, निबंधकार, पत्रकार, सम्पादक और अनुवादक हैं। उन्हें फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से ...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं