सरफ़राज़ ख़ान
यह मिथक ही है कि हृदय संबंधी बीमारी बुढ़ापे में ही होती है. हृदय बीमारी और लकवा दोनों ही महिलाओं में मौत की प्रमुख वजह है और इनसे होने वाली मौतें कैंसर से होने वाली मौतों से कहीं ज़्यादा हैं. हालांकि इससे पहले हृदय संबंधी मौतें मध्य उम्र और बुढ़ापे में ही होती हैं, लेकिन अब कम उम्र की महिलाएं भी इसकी गिरफ़्त में आ रही हैं. सिर्फ़ अमेरिका में ही 35500 महिलाएं 65 की उम्र से पहले ही मृत्यु की शिकार होती हैं.
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि यह भी मिथक है कि रजोनिवृत्ति से पहले महिलाओं को हृदय संबंधी बीमारी के लिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, जबकि सच्चाई ये है कि महिलाओं में रजोनिवृत्ति से पहले ही इसका ख़तरा शुरू हो जाता है. हार्मोन रीप्लेसमेंट थेरेपी हृदय के लिए ख़तरनाक होती है, इसे एक विशेषज्ञ से ही करवाएं, साथ ही यह एस्ट्रोजेन आधारित ही होनी चाहिए. यह भी एक मिथक है कि महिलाओं में विटामिन सप्लीमेंट हृदय संबंधी बचाव का अहम तरीक़ा है, जबकि सच्चाई ये है कि कृत्रिम विटामिन से नुक़सान हो सकता है और इनको लेने से परहेज़ करना चाहिए.
महिलाओं में एक और मिथक ये भी है कि उनमें हार्ट अटैक के दौरान सीने का दर्द नहीं होता है. यह सच है कि अधिकतर महिलाओं में सांस लेने में दिक़्क़त या थकावट का अहसास होता है, लेकिन अब भी जो आम लक्षण है वह सीने का दर्द ही है. इसके लिए लगातार व्यायाम करके फ़ायदा होता है, यह भी सच नहीं है. सच्चाई ये है कि टहलने के हल्के-फुल्के उपाय भी लम्बी दूरी तक टहलने जितने फ़ायदेमंद है. उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक से बचने का सबसे बढ़िया तरीक़ा है कि आप 80 का फ़ार्मूला अपनाएं, जिसका मतलब है कि आप अपना बैड कोलेसट्रॊल, फ़ास्टिंग शुगर, कमर की चैड़ाई, लोवर ब्लड प्रेशर और पल्स दर 80 से नीचे रखें. व्यक्ति रोज़ाना जहां तक संभव हो 80 मिनट तक 80 क़दम प्रति मिनट की गति से टहले. ज़्यादा न खाए मतलब 80 एमएल कैलोरिक फ़ूड से अधिक सेवन न करे, साथ ही शराब का सेवन दो दिनों में 80 एमएल से अधिक न हो और महिलाओं को चाहिए कि वे दो हफ़्तों में 80 ग्राम से अधिक शराब न लें. प्राणायाम के 80 चक्र अपनाएं और जहां तक संभव हो रोज़ाना 80 बार हंसे और 80 बार तालियां बजाएं. व्यक्ति को धूम्रपान नहीं करना चाहिए, वरना इसका अंत अस्पताल के 80,000 रुपये के तौर पर हो सकता है.