मधुमेह का बढ़ता ख़तरा

Posted Star News Agency Monday, November 14, 2022


फ़िरदौस ख़ान    
दुनियाभर में मधुमेह का ख़तरा लगातार बढ़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ इस समय दुनियाभर में 24 करोड़ 60 लाख लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और साल 2025 तक यह तादाद बढ़कर 38 करोड़ को पार कर जाएगी. अकेले भारत में क़रीब चार करोड़ मधुमेह के मरीज़ हैं और 2025 तक सात करोड़ होने की आषंका है. हर दसवें सेकेंड में मधुमेह से एक व्यक्ति की मौत होती है और तीसवें सेकेंड में एक नया व्यक्ति इसकी चपेट में आता है. 

ग़ौरतलब है कि हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है. 14 नवंबर को फ्रैडरिक बेंटिग का जन्मदिन है, जिन्होंने चार्लीज़ हर्बर्ट बेस्ट के साथ मिलकर 1921 में इंसुलिन की खोज की थी. उनके इस योगदान को याद रखने के लिए इंटरनेशनल डायबिटीज फ़ैफेडरेशन (आईडीएफ़) द्वारा 1991 से हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाने की प्रथा शुरू की गई. इस दिन दुनिया के 140 देषों में कार्यक्रमों का आयोजन कर जनमानस को मधुमेह के प्रति जागरूक किया जाता है. हर साल इसकी थीम अलग रहती है. साल 1991 की थीम इसकी थी-मधुमेह पर जनता को जागरूक करें. साल 1992 में मधुमेह विश्वव्यापी एवं सभी उम्र की समस्या, 1993 में किशोरावस्था में मधुमेह की देखभाल, 1994 में बढ़ती उम्र मधुमेह का रिस्क फ़ैक्टर है, इसे कम कर सकते हैं, 1995 में बिना जानकारी मधुमेह के मरीज़ का भविष्य ख़तरे में होगा, 1996 में इंसुलिन ही जीवन का अमृत है, 1997 में विश्वव्यापी जागरूकता ज़रूरी है, 1998 में मधुमेह मरीज़ों के अधिकार सुरक्षित हैं, 1999 में मधुमेह के कारण राष्ट्रीय बजट पर ख़तरा है, 2000 में सही जीवन शैली से रोकें मधुमेह को, 2001 में मधुमेह में करें हृदय की देखभाल, 2002 में मधुमेह में करें आंखों की देखभाल, 2004 में मोटापा छुड़ाएं, मधुमेह से बचें, 2003 में मधुमेह मरीज़ों को गुर्दे की ख़राबी पर जागरूक करें, 2005 में मधुमेह में पैरों की देखभाल ज़रूरी है, 2006 में बच्चों को मधुमेह से बचाएं, 2007 264 क़दम चलें, 2008 में अब कुछ अलग कर दिखाने का समय है. बच्चों और किशोरों को मधुमेह से बचाएं और 2009 से 2010 तक मधुमेह की शिक्षा व रोकथाम से संबंधित हैं. 
विश्व मधुमेह दिवस 2021-23 का थीम ‘डायबिटीज़ केयर तक पहुंच, अगर अभी नहीं, तो कब?’ है. संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पारित कर साल 2007 में मधुमेह अभियान के लिए एक लोगो जारी किया गया था. यह लोगो नीले रंग का है, जो वैश्विक मधुमेह समाज की एकता को प्रदर्शित करता है.

चिकित्सकों के मुताबिक़ मधुमेह तीन प्रकार का होता है, टाइप 1 डायबिटीज़, टाइप 2 डायबिटीज़ और गर्भावधि मधुमेह. यह एक असंक्रामक रोग है. इसमें रोग का प्रभाव जब शरीर के लिए लड़ने वाले संक्रमण, प्रतिरक्षा प्रणाली के ख़िलाफ़ होता है तो उसे टाइप 1 डायबिटीज़ कहा जाता है. टाइप 2 डायबिटीज़ सामान्य मधुमेह है. क़रीब 95 फ़ीसदी लोग इससे पीड़ित हैं. यह वृद्धावस्था में पाया जाता है. 80 फ़ीसदी से ज़्यादा टाइप 2 डायबिटीज़ के मामले मोटापे की वजह से होते हैं, जो मधुमेह संबंधी मौत का कारण भी बनते हैं. बीएमआई और टाइप 2 डायबिटीज़ के बीच उतार चढ़ाव वाला संबंध है. सबसे कम ख़तरा उनमें होता है जिनका बीएमआई यानी शरीर का वज़न और लंबाई का अनुपात 22 किलोग्राम/2 होता है. अगर बीएमआई 35 किलोग्राम/एम2 से ज़्यादा होता हो तो उनमें मधुमेह का ख़तरा 61 साल की उम्र तक रहता है. यह ख़तरा बैठकर ज़िन्दगी बिताने वालों में बढ़ सकता है, जबकि व्यायाम करके इसमें कमी लाई जा सकती है. महिलाओं में 18 की उम्र और पुरुषों में 20 के बाद वज़न के बढ़ने से टाइप 2 डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ जाता है. द नर्सेज हेल्थ स्टडी में 18 की उम्र के बाद जिन महिलाओं का वज़न स्थिर यानी जिन्होंने 5 किलोग्राम वज़न या इससे कम बढ़ाया या फिर वज़न कहीं ज़्यादा बढ़ाया, दोनों में तुलना की गई. जिन महिलाओं में वज़न 5 से 7.9 किलोग्राम बढ़ा उनमें डायबिटीज़ का ख़तरा 1.9 गुना बढ़ा और जिन महिलाओं में 8 से 10.9 किलोग्राम वज़न बढ़ा उनमें यह ख़तरा 2.7 गुना ज़्यादा हो गया. इसी तरह पुरुषों पर भी अध्ययन किया गया. थोड़े से वज़न बढ़ने पर भी मधुमेह का ख़तरा बढ़ता देखा गया. वज़न बढ़ने का मतलब भविष्य में मधुमेह की समस्या के रूप में देखा गया. टाइप 2 डायबिटीज़ वाले उच्च आशंकित समूह वाले भारतीयों में वज़न धीरे-धीरे 30 किलोग्राम तक बढ़ जाता है यानी यह 60 से 90 पहुंच जाता है, जिससे सालों तक उन्हें डायबिटीज़ से जूझना होता है. इसके विपरीत वज़न में कमी करने से टाइप 2 डायबिटीज़ का ख़तरा कम होता है. मोटापे के साथ ही इंसुलिन में रुकावट व हाइपर इंसुलिनेमिया मोटापे से होता है और हाइपरग्लाइसेमिया से पहले ही नज़र आ जाता है. मोटापे की वजह से ग्लूकोज़ गड़बड़ा जाता है और इंसुलिन रुकावट बढ़ जाती है जिसकी वजह से हाइपरइंसुलिनेमिया की समस्या होती है. हाइपर इंसुलिनेमिया में हीपेटिक वेरी लो डैनसिटी ट्राइग्लाइसराइड सिंथेसिस, प्लासमिनोजेन एक्टिवेटर इनहिबिटर-1 सिंथेसिस, सिम्पैथिक नर्वस सिस्टम एक्टिविटी और सोडियम रीएब्जार्पशन का घनत्व बढ़ने लगता है. इन बदलावों की वजह से मोटे लोगों में हाइपलीपीडेमिया और हाइपरटेंशन की समस्या होती है. कुछ महिलाओं में गर्भावधि मधुमेह गर्भावस्था में देर से विकसित होता है. हालांकि शिशु के जन्म के बाद यह प्रभाव ख़त्म हो जाता है. इस मधुमेह का कारण गर्भावस्था में हार्मोन्स का असंतुलन या इंसुलिन की कमी से होता है. 

क़ाबिले-ग़ौर है कि साल 1924 में पहली बार इंसुलिन का इस्तेमाल मधुमेह पीड़ित 14 वर्षीय लोनार्ड थाम्सन के इलाज में किया गया. जिन मरीज़ों में इंसुलिन नहीं बनता, उनमें दवाइयों के ज़रिये इसे बनाया जाता है. जिन मरीज़ों में इंसुलिन बनता है, लेकिन काम नहीं करता, उनमें दवाइयों के ज़रिये इंसुलिन को सक्रिय किया जाता है. 

चिकित्सकों का कहना है कि ख़ून में शुगर की मात्रा अगर 126 प्वाइंट या इससे ज़्यादा है तो इसे मधुमेह माना जाता है, जबकि 98 प्वाइंट के नीचे हो तो इसे सामान्य माना जाता है. अगर शुगर की मात्रा 98 प्वाइंट और 126 प्वाइंट के बीच है तो इसे प्री-डायबिटीज़ स्टेज माना जाएगा. मधुमेह एक ऐसा रोग है जिसमें मेटाबॉलिज़्म और हारमोन असंतुलित हो जाता है. यह एक कॉम्पलैक्स डिसऑर्डर है. थकावट, वज़न बढ़ना या कम होना, बेहद प्यास लगना और चक्कर आना इसके लक्षण हैं. मधुमेह आनुवांशिक हो सकता है, लेकिन खान-पान का विशेष ध्यान रखकर इसे क़ाबू किया जा सकता है. बदलते लाइफ़ स्टाइल और फ़ास्ट फ़ूड की बढ़ती दीवानगी मधुमेह को बढ़ावा दे रही है. खाने में अत्यधिक वसा, कोल्ड ड्रिंक्स और एल्कोहल से मोटापा बढ़ रहा है, जिससे मधुमेह की आशंका बढ़ जाती है. एल्कोहल हारमोन असंतुलन को बढ़ाती है और इससे भी मधुमेह का ख़तरा पैदा हो जाता है. 

मधुमेह को ख़त्म करने का अभी तक कोई इलाज नहीं है. जो इलाज है वह सिर्फ़ इसे नियंत्रित करने तक ही सीमित है. इसलिए बेहतर है कि इससे बचा जाए. व्यायाम और खान-पान पर विशेष ध्यान देकर मधुमेह के ख़तरे को कम किया जा सकता है. 



फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • अच्छा इंसान - अच्छा इंसान बनना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी. एक अच्छा इंसान ही दुनिया को रहने लायक़ बनाता है. अच्छे इंसानों की वजह से ही दुनिय...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Good person - It is most important to be a good person, for yourself and for others. A good person makes the world worth living in. The world exists because of good pe...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • संग्रहणीय पुस्तक है नवगीत कोश - *फ़िरदौस ख़ान*सुप्रसिद्ध कवि एवं गीतकार डॉ. रामनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ द्वारा लिखित ‘नवगीत कोश’ पढ़ने का मौक़ा मिला। इसे पढ़कर लगा कि अगर इसे पढ़ा नहीं हो...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं