स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. डीएमए ने एचआईवी/एड्स पर अहम बिंदु जारी किए और एक महत्वपूर्ण सत्र का आयोजन किया, जिसका संचालन हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने किया। विशेषज्ञ मंडल में डॉ. एस सी शर्मा, विलिंगटन हास्पिटल, डॉ. नलिन नाग, अपोलो अस्पताल, डॉ. नरेश चावला और डॉ. अश्विनी डालमिया शामिल थे. इस मौक़े पर स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई.
200 से ज्यादा अलग तरह की बीमारियां रक्त के जरिए फैलती हैं, इनमें सबसे ज्यादा गंभीर संक्रमण हेपेटाइटिस बी वायरस, हेपेटाइटिस सी वायरस और एचआईवी हैं।
एचआईवी, हेपेटाइटिस बी ओर हेपेटाइटिस सी सभी बीमारियां रक्त या रक्त के उत्पादों के जरिया या फिर सैक्सुअल रूट से एक से दूसरे में जा सकती हैं। हालांकि एचआईवी का प्रचलन आम आबादी में महज 0.3 फीसदी है जबकि हेपेटाइटिस सी की गिरफ्त में 5 फीसदी तक हैं।
युध्द के लिए एक नया हथियार-एचआईवी कन्या, जिसमें अपहरण के बाद एचआईवी ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिया, एचआईवी पॉजिटिव सिरिंज का उपयोग पैसे के लिए किया जा सकता है। अधिकतर जानलेवा मामलों में हथियार के रूप में संभव है।
औसतन सुई से होने वाले जख्म बिना प्राफीलैक्सिस के प्रति 1000 में करीब 3 जख्म के मामले सामने आते हैं। अनुमान के मुताबिक यह खतरा कम से कम 80 फीसदी होता है जब प्राफीलैक्सिस (3 घंटे के अंदर शुरू किया जाए) को समय के हिसाब से लिया जाता है।
हॉलो नीडिल में संक्रमण सबसे ज्यादा होता है, हाई बोर नीडिल और धमनी या नस में घुसाने के दौरान।
पहले तो स्वास्थ्यकर्मियों में हेपेटाइटिस बी वैक्सीन के दौरान फैला जाता था, हेपेटाइटिस बी वायरस के सूचक स्वास्थ्यकर्मियों में आम आबादी की तुलना में ज्यादा वायरस होता था। 1991 के दिशा-निर्देशों के में सभी स्वास्थ्यकर्मियों को हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन लेने के लिए कहा गया था। हाल के अध्ययन में सुझाव दिया गया कि इस रणनीति को काफी सफल देखा गया जिससे स्वास्थ्यकर्मियाेंं में इस वायरस के इनफेक्शन के मामलों हेपेटाइटिस बी में तेजी से कमी यानी 95 फीसदी तक दर्ज की गई।
करीब 30 फीसदी एचआईवी संक्रमण वाले मरीज एचसीवी से भी संक्रमित होते हैं और 10 फीसदी तो जानलेवा हेपेटाइटिस बी संक्रमण की गिरफ्त में होते हैं।
आईवी ड्रग लेने वालों में हेपेटाइटिस सी वायरस से पहले एचआईवी संक्रमण होता है, जबकि जो पुरुष से पुरुष में सेक्स करते हैं वो एचआईवी संक्रमण से पहले हेपेटाइटिस सी इनफेक्शन का शिकार होते हैं।
हेपेटाइटिस बी वायरस सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाने वाला वायरस है जो रक्त या रक्त संबंधी ¶ल्यूड से फैलता है। यह परक्यूटेनियस और म्यूकोजल का सामना करने और मानव के काटने से होता है।
हेपेटाइटिस बी फोमाइट के जरिये हो सकता है जैसे कि फिंगर स्टिक ब्लड शुगर चेक, मल्टी डोज मेडिकेशन वायल, जेट गन इनजेक्टर और एंडोस्कोप।
हेपेटाइटिस बी वायरस से बचाव सात दिनों में बचाया जा सकता है और बाद में यही इनफैक्शन की वजह बनता है।
एचसीवी इनफेक्शन का प्रचलन स्वास्थ्यकर्मियों में आम आबादी जितना ही होता है।
स्वास्थ्यकर्मियों में हेपेटाइटिस सी वायरस के लिए एचसीवी की टेस्टिंग तब कराई जानी चाहिए जब वे नीडिल स्टिक, शार्प इंजरी, म्यूकोजल, या हेपेटाइसि सी वायरस पॉजिटिव रक्त के इंटैक्ट का सामना करें।
औसतन सीरो कनवर्जन से लेकर अनइंटेंशनल नीडिल स्टिक या शार्प एक्सपोजर के बाद हेपेटाइटिस सी वायरस में हेपेटाइटिस सी वायरस पॉजिटिव 1.8 फीसदी (रेंज 0-7 फीसदी) है।
हेपेटाइटिस सी वायरस ब्लड स्प्लैश से लेकर कंजक्टिवा को ट्रांसमिशन के तौर पर परिभाषित किया गया है।
हेपेटाइटिस सी वायरस वातावरण में 16 घंटों तक जिंदा रह सकता है।
रक्त या रक्त के फ्ल्यूड का सामना होने का पहला और महत्वपूर्ण कदम उस हिस्से को अच्छी तरह से साबुन और पानी से धोलें।
घाव पर दबाव डालने से रक्त जनित संक्रमणों का खतरा कम नहीं हो जाता।
ऐसे रक्त का सामना होने पर सभी लोगों को हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन देनी चाहिए जिन्होंने इस वैक्सीन को न लिया हो।
अगर रक्त का सामना होने पर यह एचबीवी के लिए पॉजिटिव हो और इसका सामना करेन वाले व्यक्ति ने इसकी वैक्सीन न ली हो तो व्यक्ति का उपचार हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोब्यूलिन का सुझाव दिया जाता है।
सीडीसी के सुझाव के मुताबिक तब तक बचाव के तरीके को न अपनाएं जब तक 72 घंटे से पहले इसका सामना न हो चुका हो या इंटैक्ट स्किन न हो; शरीर के फ्ल्यूड पेशाब, नैजल, सेक्रेशन, सलाइवा, पसीना या आंसू और जिसमें रक्त न दिखाई दे रहा हो।
चार हफ्तों तक 2 से 3 ड्रग्स दें।
इसका सामना होने पर पहले तीन महीनों में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है क्योंकि एचआईवी सवंमित लोगों में इस दौरान एंटी बॉडी पॉजिटिव होता है।
सावधानी बरतने में सहवास करने से बचना या हर बार कंडोम का इस्तेमाल करना शामिल है।
कंडोम से खतरा कम होता है लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं होता है, इसमें हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी या एचआईवी संक्रमण व अन्य के फैलने का खतरा बना रहता है।
वे महिलाएं जो ऐसे व्यक्ति के रक्त या रक्त सम्बंधी फ्ल्यूड के संपर्क में और वह व्यक्ति एचआईवी संक्रमण का शिकार हो तो उस महिला को चाहिए वह इस दौरान गर्भ धारण न करे।
जो एचआईवी सवंमित फ्ल्यूड का सामना करते हों तो उनको चाहिए कि वे रक्तदान, प्लाजमा, अंग, टिश्यू या सीमेन दान न करें।
जो महिलाएं स्तनपान करवाती हों, उन्हें इस संक्रमण को देखते हुए चाहिए कि वे अपने बच्चे को स्तनपान कराना बंद कर दें.
शनिवार, 4 अप्रैल 2009 को 52 वर्षीय जॉनसन अजीगा को हत्या का दोषी करार दिया गया, जिसमें उसने अपने यौन सम्बंध बनाने वाले साथियों को इस बारे में नहीं बताया कि जिससे बाद में उनकी एड्स सम्बंधी बीमारी से मौत हो गई। कनाडा में यह अपने तरह का पहला मामला था और संभवत: दुनिया में एचआईवी पॉजिटिव का भी पहला मामला जिसमें साथियों को न बताने पर व्यक्ति को दोषी करार दिया गया हो। अजीगा युगांडा का एक पूर्व सरकारी शोधकर्ता को दोषी पाया गया है। उसने सात महिलाओं को संक्रमित किया; चार अन्य साथियों को वायरस नहीं पहुंचा। क्राउन ने दलील दी कि अजीगा ने महिलाओं को ''स्लो एक्टिंग पॉयजन'' से संक्रमित किया जिससे उनका इम्यून सिस्टम गड़बड़ हुआ जिसकी वजह से उनकी मौत कैंसर से हो गई। इसमें सेक्स को लेकर दलील नहीं सुनी गई क्योंकि महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव के बारे में जागरूक नहीं थीं।