भारत की तटीय सीमा 7517 किलोमीटर लंबी है जिसमें से 5400 किलोमीटर से अधिक मुख्यभूमि से संबधित है। इस विशाल तटीय सीमा की सुरक्षा और उसे सुरक्षित रखने का सबसे बडा उत्तारदायित्तव तटरक्षक बल, संबंधित राज्य और नौसेना ने संभाला है। पिछले वर्ष 26/11 के मुम्बई हमले के बाद, जब आंतकी हमलावरों ने समुद्री रास्ते से शहर में प्रवेश किया था, तभी से तटीय सीमा को और भी मज़बूत करने के प्रयास किये गये साथ ही नये कदम भी उठाए गए।
तटीय सुरक्षा योजना की प्रगति
वर्ष 2005-06 से आरंभ होने वाली पांच वर्ष की अवधि के लिए जनवरी 2005 में तटीय सुरक्षा के लिए व्यापक योजना को मंजूरी प्रदान की गई थी। यह योजना राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था सुधार पर संबंधित सभी एजेन्सियों तथा राज्यों से विचार विमर्श के बाद मंत्रिसमूह की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गई थी। तटीय सुरक्षा योजना एक अनुपूरक कदम था जिसका उद्देश्य नौ तटीय राज्यों गुजरात, महाराष्ट,्र गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल और चार संघ शासित क्षेत्रों दमण एवं दीव, लक्षद्वीप, पुडुचेरी तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के तटीय क्षेत्रों की निगरानी तथा गश्त लगाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचें को मज़बूत कर इन क्षेत्रों में सतर्कता को और बढ़ाना है। इस योजना के तहत 73 तटीय पुलिस स्टेशन, 97 चैक पोस्ट, 58 आऊटपोस्ट तथा 30 ऑपरेशनल बैरकों को मंजूरी प्रदान की जा चुकी है। पुलिस स्टेशनों को 204 नौकाएं 153 जीप तथा 312 मोटरसाईकलें मुहैया कराई जाएंगी। कंम्यूटर तथा अन्य उपकरणों के लिए प्रत्येक पुलिस स्टेशन को 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। योजना में अगले पांच वर्षों के लिए 400 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और 151 करोड़ रुपये का आबंटन नौकाओं के ईंधन, अनुरक्षण तथा मरम्मत और कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए खर्च किए जाएंगे। इस योजना के लिए कर्मचारियों की उपलब्धता संबंधित राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों द्वारा कराई जाएगी और इस योजना को संबंधित राज्यों#संघ शासित क्षेत्रों द्वारा ही कार्यान्वित किया जाएगा।
35 तटीय पुलिस स्टेशनों का काम पूरा हो चुका है और अन्य 16 का कार्य प्रगति पर है। इसके अतिरिक्त चैक पोस्टों, आउटपोस्टों तथा बैरकों का भी कार्य प्रगति पर है।
सभी संबंधित राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों ने तटीय पुलिस स्टेशनों के लिए कार्यकारी अधिकारियों के पदों तथा तकनीकी पदों को मंजूरी दे दी है। भर्ती प्रक्रिया चल रही है। गृह मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के बाद राज्यों द्वारा दिशा-निर्देंशों तथा उनके अनुपालन के लिए नौकाओ की क्रू-संरचना तथा उनके वेतन के बारे में परिपत्र को अंतिम रूप दे दिया है और उसे इन राज्यों को भेज भी दिया गया है।
इंटरसेप्टर नौकाओं की खरीद केंद्र सरकार दो सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों मैसर्स जीएसएल, गोवा तथा मैसर्स जीआरएससी, कोलकाता के ज़रिए कर रही है। गृह मंत्रालय ने 5 टन की 84 नौकाएं तथा 12 टन की 110 नौंकाओं के लिए इन कंपनियों के साथ मार्च 2008 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इसके लिए अब तक इन कंपनियों को 122.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इन नौकाओं की आपूर्ति अप्रैल, 2009 से आरंभ हो गई थी और इन्हें अप्रैल, 2011 तक पूरा करना था। लेकिन 26#11 के आतंकी हमले के बाद इनकी बेहद आवश्यकता महसूस की गई है इसलिए अब इनकी आपूर्ति को छह महीने पहले ही अक्तूबर, 2010 तक पूरा कर लिया जाएगा।
इंटरसेप्टर नौकाओं की आपूर्ति इन दोनों कंपनियों द्वारा दिये गये आपूर्ति कार्यक्रम के अनुसार प्रतिमाह के आधार पर अप्रैल, 2009 से ही आरंभ हो गई है। 31 दिसम्बर, 2009 तक 66 नौकाओं की आपूर्ति हो चुकी है और बकाया 138 नौकाओं की आपूर्ति इस वर्ष अक्तूबर तक कर दी जाएगी।
तटीय सुरक्षा की व्यापक समीक्षा
26/11 के मुम्बई पर आतंकी हमले के बाद सरकार ने देश की संपूर्ण तटीय सुरक्षा की नये सिरे से व्यापक समीक्षा की है। गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और नौवहन एवं मत्स्य मंत्रालय के विभिन्न विभागों इत्यादि की देश के तटीय सुरक्षा प्रबंधों तथा उससे संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए अनेक उच्च स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। इसमें अंतर-मंत्रालयी बैठक तथा फरवरी एवं जून 2009 में केंद्रीय मंत्रिमंडल सविच द्वारा की गई दो वीडियों कॉन्फ्रेन्स भी शामिल हैं। गृह मंत्रालय के सचिव ने भी दिसम्बर 2008 और जून 2009 में देश की तटीय सुरक्षा की समीक्षा की थी। रक्षा मंत्री ने भी मार्च, मर्इ, जून तथा नवम्बर 2009 में तटीय सुरक्षा की समीक्षा की थी। इन बैठकों के दौरान देश की तटीय तथा समुद्री सीमा की सरुक्षा के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए तथा अनेक निर्णय लिए गए।
देश की तटीय सुरक्षा के बारे में सरकार द्वारा लिए गए विभिन्न निर्णयों को समय पर लागू करने को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने ''समुद्र की ओर से खतरे के खिलाफ तटीय तथा समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए राष्ट्रीय समिति'' का गठन किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल सचिव इसके अध्यक्ष हैं। इस समिति में संबंधित मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा तटीय राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिव/प्रशासक शामिल हैं। राष्ट्रीय समिति की पहली बैठक सितम्बर, 2009 को हुई थी जिसमें तटीय सुरक्षा से संबंधित निर्णयों के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा की गई। इन बैठकों में लिए गए विभिन्न निर्णयों का संबंधित एजेन्सियों द्वारा पालन किया जा रहा है।
तटीय सुरक्षा योजना का निर्माण (चरण-2)
तटीय राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों ने तटीय सुरक्षा के लिए अतिरिक्त आवश्यकताओं को जुटाने के लिए चरण-2 की तटीय सुरक्षा योजना की भूमिका के रूप में तटरक्षक बल के साथ विचार-विमर्श किया है। तटरक्षक बल अभ्यास में लगा हुआ है और उसने तटीय सीमारेखा के आस-पास 131 अतिरिक्त पुलिस स्टेशनों की स्थापना की सिफारिश की है। इसमें अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के 20 पुलिस स्टेशनों का सुधार कार्य भी शामिल है। राज्यों तथा तटरक्षक बल से मिले सुझावों के आधार पर तटीय सुरक्षा योजना (चरण-2) की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
नौकाओं का पंजीकरण
सरकार ने फैसला किया है कि भारतीय समुद्र में मछली पकड़ने वाली या नहीं पकड़ने वाली सभी नौकाओं को एक एकीकृत व्यवस्था के तहत पंजीकरण कराना जरूरी होगा। इसके लिए नौवहन विभाग एक नोडल विभाग होगा। जून, 2009 में नौवहन मंत्रालय ने विधि मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर दो अधिसूचनाएं जारी की हैं जिसमें एक पंजीकरण के लिए संशोधित प्रारूप के साथ एमएस ( फिशिंग वेसल्स के लिए रस्ट्रिेशन ) नियम में संशोधन के लिए है और दूसरी पंजीयकों की सूची से संबंधित है।
नौकाओं पर ट्रांसपोंडरों की स्थापना
यह फैसला किया गया है कि सभी प्रकार की नौकाओं पर उनके स्थान के बारे में जानकारी प्राप्त करने तथा उनकी पहचान स्थापित करने के लिए जलयान पथ निर्देशन तथा संचार उपकरण लगाये जाएंगे। इसके लिए नौवहन विभाग एक नोडल विभाग है। नौवहन महानिदेशक ने 20 मीटर से बड़ी सभी नौकाओं पर उनके स्थान के बारे में जानकारी प्राप्त करने तथा उनकी पहचान स्थापित करने के लिए एआईएस टाईप बी ट्रांसपोंडर लगाने को सुनिश्चित करने के लिए दो परिपत्र जारी किए हैं। मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर ट्रांसपोंडरों की स्थापना के लिए नॉटिकल एडवाइज़र की अध्यक्षता में एक समूह ने कुछ विशेषताएं तैयार की है और आगे की कार्रवाई के लिए नौवहन विभाग को सौंप दी हैं।
इसके अलावा 20 मीटर से छोटी नौकाओं पर किस प्रकार के ट्रांसपोंडरों की स्थापना की जाए - इसके लिए तटरक्षक बल के महानिदेशक के तहत एक समिति का गठन किया गया है। समिति ने 20 मीटर से छोटी नौकाओं के उचित ट्रैकिंग सिस्टम के लिए एनसीएनसी ट्रायल करने का फैसला किया है जो इस प्रकार है :-
· सैटेलाईट बेस्ड।
· एआईएस/वीएचएफ बेस्ड और
· वीएचएफ/जीपीएस बेस्ड।
इन ट्रायलों की रिपोर्टो की प्रतीक्षा की जा रही है।
नौवहन मंत्रालय तय समय के भीतर ही एक ऑटोमैटिक आईडेंन्टीफिकेशन सिस्टम की श्रृंखला स्थापित करने की प्रक्रिया में है।
मछुआरों को पहचान पत्र जारी करना
सभी मछुआरों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे जो एक केंद्रीयकृत डाटाबेस से जुडे होंगे। पशुपालन, दुग्ध एवं मत्स्य पालन विभाग इस कार्य में एक नोडल एजेन्सी है जो अन्य सभी संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद इस संदर्भ में सभी आवश्यक कार्रवाई कर रहा है। पहचान पत्रों के लिए डाटा संग्रहण हेतु एक एकीकृत प्रारूप तैयार कर लिया गया है और उसे सभी तटीय राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को डाटा एकत्रित करने के लिए भेज दिया गया है।
भारत इलैक्ट्रोनिक्स लिमिटेड के नेतृत्व में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के एक समूह ने मछुआरों के बायोमैट्रिक पहचान पत्रों के लिए आंकड़ों का डिजीटलीकरण, बायोमैट्रिक विवरण एकत्रित करने, डिजीटल फोटो, डिज़ाईन तथा उनके निर्माण के लिए प्रस्ताव किया है। 26 अगस्त 2009 को मत्स्य विभाग ने बीईएल का प्रस्ताव प्राप्त किया था और उसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।
तटीय लोगों के लिए बहु-उद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र
भारत का महापंजीयक वर्ष 2011 की आम जनगणना से पहले सभी तटीय राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयक (एनपीआर) बनाने के लिए अपने प्रोजेक्ट के एक भाग के रूप में तटीय गांवों में लोगों को बहु-उद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने के एक प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा है। तटीय क्षेत्रों के लिए एनपीआर 2009-10 के दौरान तैयार कर लेने का प्रस्ताव है।
इस प्रोजेक्ट के लिए पहली बार प्रत्यक्ष आंकड़ा एक़त्रिक़रण विधि अपनाने का प्रस्ताव किया गया है। यह कार्य सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों जैसे बीईएल, ईसीआईएल और आईटीआई की सहायता से संयुक्त रूप में राज्य, जिला तथा ग्रामीण स्तर पर काम करने वाली अन्य संस्थाओं के ज़रिए किया जाएगा। जुलाई 2009 से 70 तटीय ज़िलों में आंकड़ों के एकत्रिकरण का कार्य आरंभ हो चुका है। अब तक 66 लाख लोगों की जैविक जानकारी प्राप्त कर ली गई है और साथ ही 19 लाख लोगों का बायोमैट्रिक विवरण पूरा कर लिया गया है। बायोमैट्रिक डाटा मार्च, 2010 तक पूरा कर लेने की आशा है। हालांकि कुछ राज्यों में यह कार्य मई, 2010 तक ही पूरा हो पाएगा।
तटीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए किए गए उपर्युक्त उपायों से आशा है कि ये उपाय हमारे देश पर 26/11 जैसे आतंकी हमले को रोक सकेंगे।