सरफ़राज़ ख़ान
हिसार (हरियाणा). चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बाजरा का एक नया संकर विकसित करने में सफलता हासिल की है। यह संकर उत्पादन तथा रोग प्रतिकूल क्षमता के लिहाज से बहुत बेहतर है। इसकी खेती कम सिंचाई सुविधा वाले वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में की जा सकेगी।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डा. आर. पी. नरवाल ने आज जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के पौध प्रजनन विभाग के वैज्ञानिकों की एक टीम ने संकर बाजरा की एच. एच. बी.-226 किस्म विकसित की है। इस संकर की उत्पादन क्षमता 44 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है तथा यह 70 दिन में पककर तैयार हो जाता है। यह संकर डाउनी मिल्ड्यू तथा स्मट रोगों के प्रति बहुत सहनशील है।
उन्होंने बताया कि गत तीन वर्ष तक किये गये फिल्ड परीक्षणों के आधार पर इस संकर को वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में खेती के लिए बहुत उत्तम परखा गया है। उन्होंने बताया कि हाल ही में बाजरा सुधार हेतु अखिल भारतीय समन्वित परियोजना की एक गु्रप मीटिंग जोधपुर में हुई जिसमें उक्त संकर बाजरा की हरियाणा सहित राजस्थान व गुजरात रायों के वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए पहचान की गई है।
पौध प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डा. धीरज सिंह के अनुसार संकर बाजरा की एच. एच. बी.-226 किस्म को नौं वैज्ञानिकों डा. एच. पी. यादव, एम. एस. नरवाल, एम. एस. पंवार, अनिल कुमार, एल. के. चुघ, रमेश कुमार, कृष्ण कुमार, कुशल राज व यश पाल यादव ने मिलकर विकसित किया है।
उन्होंने बताया कि इस संकर की एक विशेषता यह भी है कि मध्यम लंबाई के सीटों पर लम्बे कांटे नुमा बाल होते है जिससे पक्षी सीटों में दानों का नुकसान नही कर सकते। उन्होंने बताया कि चारा उत्पादन की दृष्टि से भी यह संकर बहुत उत्तम है।