सरफ़राज़ ख़ान
नई दिल्ली : बीस से अधिक भावी अध्ययनों में खुराक के तत्वों और हृदय सम्बंधी बीमारी के खतरे के बारे में पड़ताल के बाद यह तथ्य सामने आया है कि कार्बोहाइड्रेट का विकल्प सैचुरेटिड फैट सही चुनव नहीं है।

हार्ट केयर फाउंडेशन   ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल  के मुताबिक़    कौन सा फैट आप लेते हैं, यह अधिक मायने रखता है न कि कुल कितना फैट लेते हैं। ट्रांस फैटी एसिड्स से हृदय सम्बंधी बीमारी का खतरा बढ़ता है जबकि पॉलीअनसैचुरेटिड फैट और मोनोअनसैचुरेटिड फैट खतरे में कमी लाते हैं।  यह अपने आप में विवाद का विशय है कि कार्बोहाइड्रेट की जगह विकल्प के तौर पर सैचुरेटिड फैट को ले सकते हैं। कार्बोहाइड्रेट के बढ़ने से गुड हाई डेंसिटी लीपोप्रोटीन (एचडीएल) का स्तर कम हो जाता है और इसके साथ टोटल और लो डेंसिटी लीपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल भी कम हो जाता है। इस तरह से हृदय बीमारी के खतरा कम होता है जिसको सिर्फ सैचुरेटिड फैट में कमी करने से उम्मीद की जाती है।

किये गए अध्ययनों में दिखाया गया है कि जो लोग खाने में सब्जियों और फलों का सेवन अधिक करते हैं (जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं) उनमें हृदय की बीमारी के खतरे में कमी हुई। अब ऐसे कई परिणाम और किये गए परीक्षण उपलब्ध हैं जिनमें दिखाया गया है कि हृदय सम्बंधी बीमारी में एंटीऑक्सीडेंट विटामिन चिकित्सकीय फायदे के तौर पर विषेश महत्व नहीं रखते। सीएचडी के प्राथमिक बचाव के रूप में विटामिन सी, ई और बीटा कैरोटीन न लेने के लिए कहा जाता है। बिना प्रमाणित चिकित्सीय फायदे के सप्लीमेंट लेने से थेरेप्यूटिक जीवन षैली बदलाव या प्रमाणित ड्रग थेरेपी गलती से न लेने का खतरा बढ़ता है।

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं