मानसून
के आने के
साथ ही बिजली
के उपकरणों से
करंट के कारण
मौतें होना आम
है। मानसून के
महीनों में सभी
बड़े शहरों में
औसतन रोजाना तीन
से पांच लोगों
की मौत हो
जाती है। बिजली
के करंट से
लगने वाली अधिकतर
मौतों की वजह
बिजली से जुड़ी
जागरूकता का अभाव
होता हैं।
हार्ट
केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया
के अध्यक्ष डॉ.
के के अग्रवाल के मुताबिक़
लोगों को
न सिर्फ बिजली
से बचने के
उपायों को जानने
की जरूरत है
बल्कि जानलेवा बिजली
के उपकरणों से
बचने के लिए
जरूरी उपायों को
अपनाकर होने वाली
मौत से भी
बचा जा सकता
है। इसके साथ
ही बिजली के
करंट से मरने
वाले व्यक्ति को
उपायों के जरिए
बचाया जा सकता
है। बिजली से
अच्छी सेवा होती
है लेकिन इसका
असर बुरा भी
हो सकता है।
अच्छी इस तरह
से कि अगर
इसका उचित प्रयोग
किया गया तो
यह वरदान के
समान है और
बुरी तब होती
है जब गलत
इस्तेमाल के कारण
मौत हो जाती
है।
सबसे
महत्वपूर्ण
यह जानकारी मुहैया
कराना है कि
अर्थिंग का उचित
इस्तेमाल करें। अर्थिंग
को शहरी स्रोत
या फिर घर
में ही गड्ढा खोदकर
किया जा सकता
है। अर्थिंग एक
मोटा वायर होता
है, जो
तीन पिन वाले
इलेक्ट्रिकल
सॉकेट में ऊपर
लगा होता है।
अर्थिंग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर
पर हरा रंग
प्रदान किया गया
है जिसे पहचानने
में किसी तरह
की परेशानी नहीं
होनी चाहिए।
लोगों
के बीच रंगों
के इस्तेमाल को
भी बढ़ावा दिये
जाने की आवष्यकता
है, हरा
अर्थिंग के लिए, काला न्यूट्रल
और लाल लाइव
वायर। नॉर्मल इलेक्ट्रिसिटी
सामान्य तब होती
है जब लाइव
वायर न्यट्रल वायर
से कनेक्ट होता
है। अर्थ वायर
बिजली के करंट
के लीकेज को
सुरक्षात्मक
तरीके से खत्म
कर देता है। लाइव
और अर्थ वायर
से भी बिजली
का करंट आता
है, लेकिन
करंट तब नहीं
आता जब अर्थ
वायर न्यूट्रल वायर
से जुड़ता है।
बिजली
के इस्तेमाल को
अर्थिंग सुरक्षित बनाता
हैं। इस अर्थिंग
को हर छह
महीने में जांच
कराते रहना चाहिए,
क्योंकि मौसम और
समय के हिसाब
से, विशेष रूप
से बारिश के
मौसम में इसमें
खराबी होने की
संभावना रहती है।
इसकी जांच आसानी
से सामान्य टेस्टर
के जरिए की
जा सकती है।
टेस्टर
या टेस्ट लैंप
से पर्याप्त अर्थिंग
है या नहीं
का पता लगाया
जा सकता है।
एक बार बिजली
के बल्ब को
लाइव और अर्थ
वायर से जोड़कर
देखते हैं। अगर
इससे बल्ब नहीं
जलता है तो
इसका मतलब है
कि अर्थिंग ठीक
से काम नहीं
कर रहा है।
लोग अर्थिंग को
हमेशा हल्के से
लेते हैं और
अक्सर इसका दुरुपयोग
करते हैं। लाइव
वायर और अर्थ
वायर को कभी-कभी
कुछ समय के
कनेक्षन के लिए
सही तरीके से
बांधा नहीं जाता
है, जो
जानलेवा साबित हो
सकता है।
बिजली
सम्बंधी दुर्घटनाओं से
बचने के लिए
क्या करें और
क्या न करें के
तौर पर निम्न
सामान्य उपाय अपनाएं
* हमेशा
हरे रंग के
वायर को ध्यान
में रखें,
अगर यह न
हो तो बिजली
के उपकरण का
इस्तेमाल न करें खासतौर से तब
जब आप किसी
भी रूप में
पानी की सतह
को छू रहे
हों। पानी की
वजह से अतिरिक्त
सावधानियां
बरतनी होती हैं, इसके लिए
अन्य शर्तें हैं।
* दो
पिन वाले प्लग
में अर्थिंग नहीं
होती, इसलिए
इन्हें नहीं इस्तेमाल
करना चाहिए, बल्कि
इन पर तो
प्रतिबंध लगा दिया
जाना चाहिए।
* जब
भी तीन पिन
वाले प्लग काइस्तेमाल
करें तब भी
यह देख लें
कि तीनों के
वायर में किसी
भी तरह की
गड़बड़ी तो नहीं
है।
* वायर
के सॉकेट में
माचिस की तीली
का इस्तेमाल न
करें।
* किसी
भी तरह के
तार को न
छुएं जब तक
यह सुनिश्चत न
हो लें कि
स्विच ऑफ है।
* अर्थ
वायर को न्यूट्रल
वायर की जगह
न लगाएं।
* सभी
जुड़े हुए तारों
को सही तरीके
से इन्सुलेट टेप
से ढका जाना
चाहिए न कि
सेलो टेप या
बैंड एड से।
* गीजर
का पानी इस्तेमाल
करने से पहले
मेन स्विच को
ऑफ कर दें।
* खाना
बनाने के लिए
हीटर की प्लेट
को खुले तारों
से न जलाएं।
* घर
में स्लीपर चप्पलों
का इस्तेमाल करें।
* घर
में मिनी सर्किट
ब्रेकर (एमसीबी) और
अर्थ लीक सर्किट
ब्रेकर (ईसीएलबी) का
इस्तेमाल करें।
* पानी
के नल के
पास मेटालिक इलेक्ट्रिकल
उपकरण का इस्तेमाल
नहीं किया जाना
चाहिए।
* रबर
की चटाई का
इस्तेमाल करें और
कूलर के स्टैंड
में भी रबर
गुल्ली लगाएं साथ
ही बिजली उपकरणों
को सही तरह
से ढक कर
रखें।
* सिर्फ
प्रतिरोधी वायर और
फ्यूज का ही
इस्तेमाल करें।
* अर्थिंग
की जांच हर
छह महीने में
कराएं।
* इलेक्ट्रिसिटी
की लीकेज को
किसी भी साधारण
टेस्टर से पता
लगाया जा सकता
है।
* रेफ्रिजरेटर
के हैंडल में
कपड़ा लपेट दें।
* हर
बिजली के उपकरण
में लिखे निर्देशों
को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
अमेरिका
(110 वोल्ट)
की तुलना में
भारत में बिजली
की वजह से 220
वोल्ट के इस्तेमाल
से अधिक मौतें
होती हैं। एसी
करंट डीसी करंट
से अधिक खतरनाक
होता है। एक
एसी करंट 10 एमए से
अधिक की वजह
से इतनी जोर
से चिपक जाता
है कि उसको
छुड़ाना मुश्किल हो
जाता है।
बिजली
से बचाव के
लिए इसके लिए
जरूरी सभी उपायों
को अपनाएं। इनमें
प्रमुख रूप से
स्विच या वायर
को डिस्कनेक्ट करने
के लिए लकड़ी
का सामान या
कार्डियो पल्मोनरी का
इस्तेमाल कियो जाने
की शुरुआत कर
देनी चाहिए। चिकत्सीय
तौर पर मृत
घोषित व्यक्ति की
जान को जरूरी
उपाय के जरिए
ही बचाई जा
सकती है।
गंभीर
रूप से बिजली
की वजह से
चार से पांच
मिनट के अंदर
चिकित्सीय मौत हो
जाने के मामले
में सीमित समय
होता है। इसके
लिए शिकार व्यक्ति
को अस्पताल ले
जाने का इंतजार
नहीं किया जाना
चाहिए। तभी और
तुरंत जरूरी उपाय
अपनाएं।