अंबरीश कुमार 
लखनऊ (उत्तर प्रदेश). उत्तर प्रदेश का यह जनादेश जाती धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर आया है । वह जनादेश जिसकी आंधी में सब बह गए । इस आंधी में न हाथ टिक पाया और न मायावती का हाथी । इस आंधी में करीब सवा सौ सीट का नुकसान बसपा को हुआ । विधान सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर हारे तो ज्यादातर मंत्री हार गए । आंबेडकर नगर जहाँ से खुद मायावती जीती थी वहा पार्टी का सूपड़ा साफ़ हो जाना सरकार के खिलाफ जनता की नाराजगी को दर्शाता है । समाजवादी पार्टी ने दो दशक का रिकार्ड तोड़ते हुए रिकार्ड सीटे जीत कर समर्थन लेने देने का सवाल ही ख़त्म कर दिया ।राहुल गांधी के आक्रामक प्रचार और प्रियंका की मोहक मुस्कान भी रायबरेली ,अमेठी का गढ़ नहीं बचा पाई बाकी इलाके तो छोड़ ही दे । फिरोजाबाद में मुलायम सिंह यादव ने बहू डिम्पल यादव का हिसाब भी बराबर कर लिया । दूसरी तरफ भाजपा अयोध्या में हारी तो अटल विहारी वाजपेयी के गढ़ में भी हारी और प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही से लेकर पूर्व विधान सभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी समेत कई दिग्गज हारे भी हारे ।अयोध्या में लल्लू सिंह की हार ने मंदिर एजंडा पर पार्टी को बड़ा सबक दिया है । बचा रहा तो पार्टी का अगड़ा चेहरा यानी कलराज मिश्र और पिछड़ा चेहरा उमा भारती का चुनाव ,जो जीत गए । इन चुनाव के नतीजों और हर क्षेत्र से समाजवादी पार्टी को जिस तरह की जीत मिली उससे साफ़ है यह जनादेश जाती धर्म की परंपरागत राजनीति से ऊपर उठकर मिला है । खुद इस चुनाव के नायक अखिलेश यादव ने कहा -हमें हर धर्म और हर बिरादरी का समर्थन मिला है । यह सोशल इंजीनियरिंग के इंजीनियरों के लिए भी बड़ा संदेश है । इस चुनाव में कुछ बाहुबली जीते पर कई हारे भी ,जीते वही जिनका बड़ा जनाधार था । छोटे दलों कौमी एकता दल ,पीस पार्टी और अपना दल ने भी खाता खोल लिया है । वंशवाद का जो झटका इस चुनाव ने दिया है वह पार्टियों के लिए सबक है । कल्याण सिंह के पुत्र ,पुत्रवधू ,लालजी टंडन के पुत्र गोपाल टंडन ,स्वामी प्रसाद मौर्य के पुत्र ,जगदम्बिका पल के पुत्र ,बेनी बाबू के पुत्र और सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद भी चुनाव हार गई है ।
पर इस जनादेश को भी समझना होगा जिसके चलते यह चमत्कार हुआ । समाजवादी पार्टी ने अपना चोला ,चेहरा और एजंडा भी बदल दिया । समाजवादी पार्टी ने कल्याण सिंह से लेकर अमर सिंह का साथ छोड़ा । कारपोरेट समाजवाद का रास्ता छोड़ा तो मुंबई की फिल्मी दुनिया का मोह छोड़ा । इस चुनाव में अखिलेश का चेहरा सामने था तो समाजवाद का नया एजंडा । कम्पूटर और लैपटाप के साथ बेरोजगारों के लिए भत्ता । इसी के चलते जाति और धर्म से ऊपर उठकर लोगों ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया । यह सब आज यहाँ दिखा भी । चुनाव नतीजे आने के साथ ही दोपहर तक समाजवादी पार्टी के विक्रमादित्य मार्ग स्थित मुख्यालय पर होली के दिवाली का जश्न शुरू हो गया । पार्टी मुख्यालय पर मेले जैसा माहौल ।अबीर गुलाल के साथ पटाखों के शोर में समूचा माहौल बदला हुआ था । चुनाव और आज आए नतीजों के बाद जो माहौल यहाँ दिखा उससे अखिलेश यादव समाजवादियों के नए नायक बनकर उभरते नजर आए ।नौजवानों की भीड़ जो अखिलेश यादव की झलक पाने के लिए बेक़रार थी उनके आते ही समाजवादी पार्टी का झंडा लेकर नारे लगती हुई दौडती नजर आई । अखिलेश यादव जिंदाबाद के लगातार नारे लग रहे थे । इस बीच चौराहों पर जहा मायावती के बड़े बड़े होर्डिंग्स लगे थे वहा पुलिस की मौजूदगी में उनके ऊपर अखिलेश यादव के बड़े फोटो वाले नए बैनर टांगे जा रहे थे । इस बैनर में मुख्य फोटो अखिलेश यादव की थी तो छोटी फोटो मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव की । यह भावी राजनीति की और इशारा भी कर रही थी । समाजवादी पार्टी की जीत का आभार जताने आज मुलायम सिंह यादव नही बल्कि अखिलेश यादव अपनी नौजवान टीम के साथ आए थे । दूसरी तरफ मायावती के आवास से लेकर बसपा मुख्यालय पर सन्नाटा मातम जैसा नजर आ रहा था ।
इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका मायावती को लगा तो भाजपा भी घट गई । नए और नौजवान मतदाताओं को लेकर जो भी दावे किए गए वे वे गलत साबित हुए । नौजवानों का वोट बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी को गया । दूसरे मायावती का परंपरागत जनाधार भी दरक गया है जिसले चलते बड़ा नुकसान हुआ । यहाँ यह बात साफ़ हो जानी चाहिए कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल के भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी लड़ाई समाजवादी पार्टी ने लड़ी किसी टीम अन्ना ने नहीं । बल्कि समाजवादी पार्टी के सभी नेता अन्ना हजारे पर लगातार हमला करते हुए कहते थे कि उनकी लड़ाई नकली है क्योकि वे मायावती के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए कभी नहीं आते । हालाँकि अन्ना आंदोलन से जुड़े गाँधीवादी नेता राम धीरज ने कहा -मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को जैसा जनादेश मिला है वह अभूतपूर्व है अब उन्हें आगे भी यह चाहिए कि वे डीपी यादव की तरह किसी भी अपराधी और दागी को पार्टी का टिकट न देकर नई परंपरा को आगे बढाए ।
इस चुनाव में मुलायम सिंह को खुला समर्थन देने वाले किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा -पूरे प्रदेश में गोरखपुर से गाजियाबाद तक किसानो ने मुलायम सिंह का समर्थन किया है और उनकी अपेक्षा है कि किसानो की समस्याओं को दूर किया जाए। जबकि भाजपा से लेकर कांग्रेस तक इस झटके से हैरान है । कांग्रेस ने जो दावे किए वह हवा हवाई रहे । बेनी बाबू से लेकर ज्यादातर दिग्गजों के इलाके में पार्टी बुरी तरह हारी है । रायबरेली और अमेठी इसमे शामिल है । रानी अमिता सिंह भी हार गई । कांग्रेस के मीडिया सेल के प्रभारी सिराज मेंहदी ने कहा -पार्टी उम्मीदवारों की हार की बहुत कड़ाई से समीक्षा होनी चाहिए । यह बात अलग है कि पार्टी की हार का कोई असर कांग्रेस मुख्यालय पर नहीं दिखा जहाँ रीता बहुगुणा जोशी की जीत के जश्न में होली खेली जा रही थी । दूसरी तरफ भाजपा भी सदमे में थी । जिस तरह पार्टी ने वंशवाद को इस चुनाव में बढ़ावा दिया उससे यही होना था ,पार्टी के एक कार्यकर्त्ता ने कहा ।
(लेखक जनसत्ता से जुड़े हैं)


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