फ़िरदौस ख़ान
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने आज गुजरात के जामनगर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए जनता से पार्टी उम्मीदवारों को समर्थन देने की अपील की. उन्होंने कहा कि मगर मैं आपसे कहना चहता था कि गुजरात ने मुझे क्या दिया. मैंने सोचा, दो से तीन मिनट. फिर जो मुझे जवाब मिला वो मैं आपको बताना चाहता हूं. जब मैं छोटा था मेरे पापा ने मुझे यह कहानी बताई थी. गांधीजी की कहानी थी. जब हमारी स्वतंत्रता की लड़ाई चल रही थी, यह तब की कहानी है. गांधीजी आए थे, मोतीलाल नेहरू जी, जवाहर लाल नेहरू जी इलाहाबाद में रहते थे और जब गांधीजी हमारे घर में आए तो जवाहर लाल नेहरू जी आंदोलन में ज़ोरों से लग गए. मोतीलाल नेहरू जी को लगा कि मेरा जो लड़का है, उसको गांधीजी ने अपने कामों में लगा लिया. आगे-पीछे दौड़ रहा है. यहां नहीं आता है. अंग्रेजों ने जवाहर लाल जी को एक दिन अरेस्ट किया और वो जेल गए. मोतीलाल जी के बीच और गांधी जी के बीच थोड़ी टेंशन थी कि भैया मेरा बच्चा जेल में चला गया. सुबह के चार बजे थे. मोतीलाल जी सो नहीं पा रहे थे. आनंद भवन के चारों ओर चक्कर काट रहे थे. गांधी जी का कमरा था. लाइट बंद थी. झांका और देखा कि गांधीजी पलंग पर नहीं थे. अंधेरा था कमरे में. उन्होंने लाइट चालू की तो देखा कि एक कोने में गांधी जी लेटे हुए थे. पलंग पर नहीं थे, ज़मीन पर थे. सर्दी का समय था. जब उन्होंने लाइट जलाई गांधीजी जगे. मोतीलाल नेहरु जी ने पूछा कि आप यहां क्या कर रहे हैं? पलंग पर क्यों नहीं लेटे हैं? मोतीलाल जी पलंग पर सो रहे थे. गांधी जी उठे और बोले देखो, जवाहर लाल जेल में है, ज़मीन पर सो रहा है तो मैं पलंग में कैसे सो सकता हूं. यह आपका इतिहास है. यह गुजरात का इतिहास है. गुजरात का मतलब, यह इतिहास. और अगर मेरा राजनीति मैं कोई गुरु है तो वह गांधी जी हैं. कई लोग कहते हैं कि गांधीजी कि विचारधारा पुरानी है अब नहीं चलती . लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं इस विचारधारा को और उनको अपना गुरु क्यों मानता हूं. आठ साल से मैं राजनीति में हूं और हमारे सामने राजनेताओं के सामने कठिन डिसिजन आते हैं. ये करें या वो करें? और अगर राजनेता को लंबी सोच रखनी है तो उनको अपने लिए नियम बनाने पड़ते हैं कि भैया यह मेरा नियम है क़ानून है. चाहे कुछ भी हो जाए मैं इन नियम क़ानूनों को नहीं तोडूंगा, क्योंकि अगर आपके पास नियम-क़ानून ही नहीं तो आपकी लंबी सोच हो ही नहीं सकती है. गांधी जी का नियम क्या था? सिंपल सा नियम था. उनका यह क़ानून था कि हिन्दुस्तान के हर एक व्यक्ति को सिर्फ़ हिन्दुस्तान नहीं पूरी दुनिया के हर एक व्यक्ति की आवाज़ सुननी चाहिए. चाहे वह ग़रीब हो, अमीर हो, लंबा-छोटा. किसी प्रदेश का किसी धर्म का. हर व्यक्ति की आवाज़ होनी चाहिए और आज यहां मैं जो यह मीटिंग ले रहा हूं यह गांधीजी का काम है. अगर गांधीजी इस मीटिंग को तब नहीं चलाते तो इस देश में लोकतंत्र नहीं आ सकता था. यह मीटिंग नहीं हो सकती थी. यह गुजरात की देन है. गांधीजी की विचारधारा गुजरात की विचारधारा है. लोकतंत्र है देश में आपका काम है, सोच है आपकी देन है. अब आप देखिए. यूपीए की सरकार को देखिए. मनमोहन सिंह, सोनिया जी और बाक़ी जो हमारे मंत्री हैं. हमारे कार्यक्रमों को देखिए और सिर्फ़ यूपीए की सरकार को नहीं. पिछले 60-70 सालों को देखिए और मुझे एक कार्यक्रम का नाम बताइए जिसने किसी की आवाज़ छीनी हो. बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, हरित क्रांति लाए किसान की आवाज़ को आगे किया. आपके पास फ़ोन है? अच्छा हाथ उठा के दिखाओ जिसके पास फ़ोन है. सबके पास फ़ोन है. कंप्यूटर क्रांति का काम, टेलीकॉम का काम राजीव गांधी जी ने और सैम पित्रोदा ने किया है. यह जो आपके हाथ में है. सैम पित्रोदा गुजरात के हैं. इसमें भी आपका हाथ है. आप देश को बढ़ाते हो, देश को आवाज़ देते हो. मनरेगा दिया हमने. रोज़गार का अधिकार. हमने यह नहीं कहा, किसी विशेष को हम यह अधिकार देंगे. चाहे वह गुजरात का हो, पंजाब का हो, हरियाणा का हो. किसी धर्म का हो किसी जात का हो. रोज़गार का अधिकार उसे मिलेगा और यह हमने करके दिखाया. भ्रष्टाचार की बात होती है. जो पहले छुपा रहता था और जो गुजरात मैं आज भी छुपा रहता है उसे आरटीआई ने बाहर निकाला. हमें मालूम था जब हम आरटीआई को लागू करेंगे तो बहुत सारी चीज़ें बाहर निकलेंगी, लेकिन हमने किया. क्योंकि हम आप लोगों को आम आदमी का आवाज़ देना चाहते हैं. आदिवासियों के लिए उनकी ज़मीन वापस दी. उनको आवाज़  दी. भोजन के अधिकार की बात हो रही है. हर व्यक्ति को हम भोजन देने वाले हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि आप लोग इस देश की शक्ति हो. आम आदमी, ग़रीब, अमीर मगर आप सब इस देश, प्रदेश की शक्ति हो. और राजनेता का काम क्या होता है? जो गांधीजी ने सिखाया है. इस आवाज़ को सुनो और समझो. अपने जो सपने हैं उनको पूरा करो और आवाज़ के जो सपने हैं उनको सच करो. यह गांधीजी का सपना था. गुजरात में आम आदमी की आवाज़ नहीं चलती है. आपकी जो सरकार है आपके जो मुख्यमंत्री हैं. आपकी आवाज़ को नहीं सुनना चाहते हैं. जब गांधीजी उस कमरे में लेटे थे वह अपनी आवाज़ नहीं सुन रहे थे, जो जवाहर लाल नेहरु और उन हिन्दुस्तानियों की आवाज़ सुन रहे थे जो जेल में थे. राजनेता का यह मतलब होता है. यहां पर लोकतंत्र है, जो गांधीजी की देन है. गुजरात में असेंबली कितने दिन चलती है साल में? कितने दिन चलती है? 25 दिन चलती है. मानसून में एक दिन चलती है. आप वोट देते हो, आप कहते हो भैया हमारी आवाज़ है यह वोट और असेंबली 25 दिन चलती है पूरे साल में. और जब चलती है तो विपक्ष के लोगों को बाहर फेंक दिया जाता है कि वो कहीं ग़लत सवाल न खड़ा कर दें. जनलोकपाल की बात हुई. हम बिल लाए. संसद में बीजेपी ने हराया. बहुत ख़ुश थे उस दिन. मुस्कुरा रहे थे कि भैया हरा दिया हमने. गुजरात में लोकायुक्त है? नहीं है, क्योंकि यहां आपकी आवाज़ नहीं सुनाई देती है. यहां सिर्फ़ एक आवाज़ सुनाई देती है. आरटीआई में 14 हज़ार एप्लीकेशन पेंडिग हैं. क्यों? क्योंकि यहां आपकी आवाज़ नहीं सुनाई देती है. भ्रष्टाचार छुपा है बंद कमरों में. उसे बाहर लाना है, लेकिन एप्लीकेशन नहीं ली जाती हैं. और शक्ति आपकी आवाज में है. गुजरात के युवा, आम आदमी और आदिवासी में है. उस शक्ति को दबाया जा रहा है. बहुत अच्छी मार्केटिंग होती है. गुजरात चमक रहा है आप मुझे बताइए यहां पानी कितना मिल रहा है. हर तीसरे दिन मिलता है 25 मिनट पानी. मगर मार्केट में कहा जाता है कि गुजरात चमक रहा है. पानी नहीं है. रोज़गार नहीं है. 10 लाख युवाओं के पास रोज़गार नहीं है. मगर गुजरात में चमक है. बहुत अच्छी चमक है. चुनाव का समय है आपको डिसीज़न लेना है. मैं आपको सिर्फ़ एक बात कहना चाहता हूं. गुजरात को एक व्यक्ति नहीं चला सकता है और एक व्यक्ति नहीं चलता है. गुजरात को गुजरात की जनता आम आदमी चलाता है. जो आपके बच्चे स्कूल जाते हैं पढ़ते हैं वो चलाएंगे गुजरात. वो भविष्य हैं. आप में जो शक्ति है उसने सिर्फ़ गुजरात को नहीं बदला है. अभी यहां दिल्ली में ब्राजील के राष्ट्रपति आए. लूला’ उनसे बातचीत हो रही थी. मैंने उनसे पूछा कि भैया जब आप राजनीति के बारे में सोचते हो आपके नियम क्या हैं? एकदम गांधीजी. एक सेकेंड नहीं लगा. उधर नेल्सन मंडेला हैं. वह कहते हैं कि भैया जब मैं लड़ा गांधीजी की शक्ति मेरे साथ थी. और यह एक-दो नहीं लाखों नेता हैं, जिनमें मैं भी हूं. जिसको आपने रास्ता दिखाया है. आप दूर-दूर से आए इसके लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूं.

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • देश सेवा - नागरिक सुरक्षा विभाग में बतौर पोस्ट वार्डन काम करने का सौभाग्य मिला... वो भी क्या दिन थे... जय हिन्द बक़ौल कंवल डिबाइवी रश्क-ए-फ़िरदौस है तेरा रंगीं चमन त...
  • ग़ुज़ारिश : ज़रूरतमंदों को गोश्त पहुंचाएं - ईद-उल-अज़हा का त्यौहार आ रहा है. जो लोग साहिबे-हैसियत हैं, वो बक़रीद पर क़्रुर्बानी करते हैं. तीन दिन तक एक ही घर में कई-कई क़ुर्बानियां होती हैं. इन घरों म...
  • Rahul Gandhi in Berkeley, California - *Firdaus Khan* The Congress vice president Rahul Gandhi delivering a speech at Institute of International Studies at UC Berkeley, California on Monday. He...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • देश सेवा... - नागरिक सुरक्षा विभाग में बतौर पोस्ट वार्डन काम करने का सौभाग्य मिला... वो भी क्या दिन थे... जय हिन्द बक़ौल कंवल डिबाइवी रश्क-ए-फ़िरदौस है तेरा रंगीं चमन त...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं