सरफ़राज़ ख़ान
बुज़ुर्गों के ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव और ब्लड प्रेशर रीडिंग में रुकाव आना आगे चलकर उनकी सोचने और संज्ञानात्मक क्षमता को प्रभावित कर सकता है.
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में कहा गया है कि उन लोगों में जिनका सिस्टोलिक ब्लड प्रशर 130 एमएम एचजी से ऊपर हो, उनमें जिस दिन ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव आता है उस दिन संज्ञानात्मक क्षमता प्रभावित रहती है. वहीं दूसरी तरफ ऐसे लोगों में जिनका ब्लड प्रेशर सामान्य होता है, उनमें कभी ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव आने अथवा इसकी रीडिंग में रुकावट होने पर संज्ञानात्मक क्षमता प्रभावित नहीं होती.
इससे यह संदेश मिलता है कि अगर आपके ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव आता रहता है और आप हाई ब्लड प्रेशर की कैटिगरी में पहुंचने की कगार पर हैं, तो आपकी सोचने- समझने और संज्ञान लेने की क्षमता प्रभावित होने का ख़तरा काफ़ी ज़्यादा है. पहले किए गए बहुत सारे अध्ययनों में हाई ब्लड प्रेशर और डिमेंसिया के बीच संबंध देखा गया है. इनमें बोलने की क्षमता, चीज़ों को पहचानने में दिक्कत और अनमनापन शामिल है. एक स्टडी में यह पता लगा है कि बहुत बुज़ुर्ग लोगों में ब्लड प्रेशर का इलाज कर उन्हें डिमेंसिया का ख़तरा होने से बचाया जा सकता है.