खरगोन (मध्य प्रदेश). धर्म के नाम पर अलग हुए पति पत्नी को अदालत के न्यायाधीश ने एक बार फिर मिला दियास. खरगोन की नेशनल लोक अदालत के सीजेएम गंगाचरण दुबे ने काउंसलिंग के दौरान जोधा अकबर की कहानी सुनाई, जिससे पति पत्नी में एक बार फिर साथ रहने की सहमति बन गयी और दोनो की ज़िंदगी में एक बार फिर ख़ुशियां वापस लौट आईं.
केके खेशगी ने शबनम से प्रेम विवाह किया था. शादी के बाद खेशगी ने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर लिया. 5 जून 2014 को टैगोर पार्क कॉलोनी स्थित उनके मकान पर कुछ असामाजिक तत्वों ने अचानक पथराव व हमला कर दिया. इस घटना के बाद शबनम अलग रहने लगी थी. इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा जहां तलाक़ के लिए अपील की गई थी. सीजेएम दुबे ने दोनों की काउंसलिंग की.
काउंसलिंग के दौरान उन्होंने जोधा अकबर का उदाहरण देते हुए कहाकि, जोधा हम आपके धर्म का सम्मान करते हैं. आप पूरी तन्मयता से अपने धर्म और आस्था को मान सकती हैं. हम धर्म के अलग अनुयायी हो सकते हैं, परंतु मंज़िल एक है. क्या आपने जोधा-अकबर के बीच का यह संवाद सुना है? क्या आपने जोधा-अकबर से जुड़ी ऐतिहासिक फ़िल्म या कोई टीवी सीरियल देखा है. आपकी ज़िंदगी में यह अनोखा नहीं है. इतिहास में ऐसे कई क़िस्से हैं, जिसमें धर्म को दरकिनार कर प्रेम को गढ़ा है. जोधा-अकबर इसी समर्पण और प्यार का नाम है. आप अपनी जिंदगी को नए सिरे से जिएं.
इन बातों का इतना प्रभाव हुआ कि खेशगी और शबनम ने एक होने का फ़ैसला कर लिया. बेटे शिवकुमार को देखकर मां शबनम की आंखों में आंसू आ गए और उसे गले लगा लिया. इस घटना के आरोपियों पर चल रहे मामले को भी अदालत के समक्ष आरोपियों की माफ़ी के बाद ख़त्म कर दिया गया.