फ़िरदौस ख़ान
किसान अब पारंपरिक खाद्यान्न की फ़सलों के साथ सब्ज़ियों की फ़सलों पर भी ध्यान दे रहे हैं. जिन किसानों के खेत छोटे हैं, वे गेहूं, धान और चने की परंपरागत खेती की बजाय अब आधुनिक तकनीक के ज़रिये सब्ज़ियों और फूलों की खेती करके अच्छी ख़ासी आमदनी हासिल कर रहे हैं. टमाटर की उन्नत क़िस्मों की आधुनिक तरीक़े से खेती करके किसान मिसाल क़ायम कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश के सागर ज़िले के गांव सेमराबाग के किसान शालिक राम पटेल टमाटर की खेती करके सालाना आठ लाख रुपये तक कमा रहे हैं. पहले तीन साल पहले तक वह अपने एक एकड़ के खेत में पारंपरिक तरीक़े से बैंगन और आलू की खेती करके महज़ 60 से 70 हज़ार रुपये की कमा पाते थे. फिर उन्होंने आधुनिक खेती को अपनाया. उन्होंने उद्यानिकी विभाग की सलाह से टमाटर की खेती शुरू की. इसके लिए उन्होंने हाइब्रिड चिरायु टमाटर के बीज के पौधे तैयार किए और फिर उन्हें खेत में रोपा. खेती में ड्रिप सिंचाई, मलचिंग, स्टेकिंग जैसी अन्य आधुनिक विधियों का इस्तेमाल किया.  अब वह इसी खेत में टमाटर की खेती करके लाखों रुपये अर्जित कर रहे हैं. इसी तरह कटनी ज़िले के गांव भजिया के किसान संतोष पाल भी टमाटर की आधुनिक खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. उनके पास 16 एकड़ ज़मीन है.  पहले उनका परिवार पारंपरिक तौर पर गेहूं और धान की खेती करता था. इससे उन्हें इतनी आमदनी नहीं हो पाती थी कि परिवार का गुज़र-बसर सही से हो सके. उन्होंने दो एकड़ में टमाटर की उन्नत क़िस्म 5005 लगाई. इसके साथ ही उन्होंने उन्नत क़िस्म के बैंगन भी फ़सल उगाई. इसके बाद उन्होंने गेंदे भी उगाए. खेती में उन्होंने जैविक खाद का इस्तेमाल किया. इससे उन्हें भरपूर फ़सल मिली. छत्तीसगढ़ के कवर्धा के गांव पंडरिया के किसान भी टमाटर की खेती करके ख़ूब मुनाफ़ा कमा रहे हैं. पहले वह परंपरागत खेती धान और चने की फ़सल उगाते थे. इससे उन्हें बहुत कम आमदनी होती थी. फिर उन्होंने राष्ट्रीय बाग़वानी मिशन के तहत मिली मदद से टमाटर की खेती शुरू की.  इससे उन्हें सालाना दो लाख रुपये तक की आमदनी होने लगी. इसी तरह  सुखचंद चंद्रवंशी ने भी परंपरागत धान और चने की खेती छोड़कर सब्ज़ियां उगाना शुरू कर दिया. इससे उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी.

माना जाता है कि टमाटर की उत्त्पति मैक्सिको और पेरू में हुई थी. वहां से यह पूरी दुनिया में फैल गया. समूचे भारत में इसकी खेती होती है. यहां यह 83 हज़ार हेक्टेयर में उगाया जाता है, जिससे तक़रीबन 790 हज़ार टन उत्पादन होता है. टमाटर की फ़सल की अवधि 60 से 120 दिन होती है. पौधे रोपण के ढाई से 3 माह बाद फल तैयार हो जाती है. मुख्य फ़सल सर्दियो में यानी दिसंबर-जनवरी में होती है. बारिश के मौसम और गर्मियों में भी टमाटर की खेती की जा सकती है. प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल टमाटर का उत्पादन होता है, जबकि संकर क़िस्मों से 500 से 700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज ली जा सकती है. टमाटर का उत्पादन उसकी क़िस्म और मौसम के हिसाब से अलग-अलग होता है. टमाटर की खेती के लिए ऐसा मौसम ज़्यादा अच्छा होता है कि न ज़्यादा सर्दी हो और न ही ज़्यादा गर्मी. तापमान कम होने से टमाटर के पौधे मर जाते हैं और ज़्यादा गर्मी होने से पौधे झुलस जाते हैं और फल झड़ जाते हैं, यानी टमाटर की अच्छी बढ़ोतरी और फलन के लिए 21 से 23 डिग्री तापक्रम अच्छा माना जाता है. इसकी खेती के लिए जल निकास वाली ज़मीन सही रहती है. बलुई-दोमट ज़मीन टमाटर की खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 होना उचित है.

बहरहाल, टमाटर की खेती सालभर ही होती है. जिन किसानों के पास कम ज़मीन है, वह टमाटर की उन्नत क़िस्में उगा सकते हैं. खेती में जैविक खाद का इस्तेमाल करके और खेती की आधुनिक विधियां अपनाकर ज़्यादा आमदनी हासिल कर सकते हैं. 


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