हिसार (हरियाणा). शहर की जानी मानी उर्स साहित्यिक संस्था ने कल स्थानीय क्रान्तिमान पार्क में बज़्म-ए-अदब का आयोजन किया. इस मासिक गोष्ठी की अध्यक्षता सरफ़राज़ ख़ान ने की. मुख्य अतिथि कृष्ण इंदौरा थे. मंच का संचालन जयभगवान लाड़वान ने किया.
इस मौक़े पर जयभगवान लाड़वाल ने काव्य-पाठ करते हुए सुनाया-
बूढ़े माँ-बाप रोटी के लिए तरसते हैं, बेटे कुत्तों को गाड़ियों में घुमाते हैं.
कवि भीमसिंह हुड्डा ने सुनाया- जो बीत गया उसे भूलना सीखो, दर्द को मुस्कान में छिपाना सीखो.
ऋषि सक्सेना ने सुनाया- तन की स्वतंत्रता चरित्र निर्माण है, मन की स्वतंत्रता विचारों का आदान-प्रदान है.
कृष्ण इंदौरा ने काव्य-पाठ करते हुए सुनाया-
क्या मौसम आया है, बाग़ों में बहार लाया है
धुल गई है पत्तियों की धूल, कलियों पे निखार लाया है
सावन का महीना आया है
सरफ़राज़ ख़ास ने ग़ज़ल सुनाई-
हर शख़्स में धोखा दिखाई देता है
जिससे मिलो, वो खोखा दिखाई देता है
कवि राजेश कुमार, नरेश कुमार, सुभाष और विजय शर्मा ने भी कविता पाठ कर सबको मंत्र-मुग्ध कर दिया.