सृष्टि का कण कण कण तृण तृण, नभचर जलचर थलचर।
आग हवा पानी-ओ माटी, जन मानस भू अम्बर।
एक अकेले हम नहिं कहते कहता सब संसार।
मुहम्मद दिल से तुमको प्यार मुहम्मद दिल से तुमको प्यार।
आग हवा पानी-ओ माटी, जन मानस भू अम्बर।
एक अकेले हम नहिं कहते कहता सब संसार।
मुहम्मद दिल से तुमको प्यार मुहम्मद दिल से तुमको प्यार।
मानस में तुलसी साहिब की, अंकित अनुपम वाणी।
बांच रहा है निसदिन जिसको, मुल्ला पंडित ज्ञानी।
जब-जब होत धरम की हानी,अरु बढ़ते अभिमानी।
तब प्रभु प्रतिनिधि आकर हरता, हर पीड़ा इन्सानी।
यह दुख भंजन करने आये तुम अन्तिम अवतार।
मुहम्मद दिल से तुमको प्यार मुहम्मद दिल से तुमको प्यार।
मुहम्मद दिल से तुमको प्यार मुहम्मद दिल से तुमको प्यार।
गूंगा सुन्दर बोली बोले, लँगड़ा लाँघे परवत।
कलयुग के सब पाप जलायें, जिनमें ऐसी कुदरत।
तुलसी जी की रामायण का, सोरठ यह बतलाता।
त्रेता के श्री राम पुजारी, जोड़ के उनसे नाता।
भीक दया की तुलसी माँगत, कलयुग के जगतार।
मुहम्मद दिल से तुमको प्यार मुहम्मद दिल से तुमको प्यार।
गीता में भगवान किशन ने, क्या ही ख़ूब बताया।
पाप मिटाने हर सूरत में, मैं ही तो इक आया।
दुजनों का संहार किया है, सजनों का उद्धारा।
युग-युग से धर्म स्थापन करि, मम कीहिन उपचारा।
गीता के इक श्लोक "यदा" का, यह उत्तम है सार।
मुहम्मद दिल से तुमको प्यार मुहम्मद दिल से तुमको प्यार।
🌹
नानक विधि से नाम अदद को कर डालो तुम चौगुन।
चौगुन में दो जोड़ के योगा को कर लो अब पचगुन।
पचगुन को तुम बीस से बाँटो शेष को कर लो नौगुन।
नौ गुन में दो जोड़ के टोटल नाइंटी टू (92) अब चुन।
हर सूरत आदादे ‘मुहम्मद’ सब में रब दिलदार।
मुहम्मद दिल से तुमको प्यार मुहम्मद दिल से तुमको प्यार।
कौन सा ऐसा दीन-धरम है कौन सा ऐसा प्राणी।
फलदायक ना हुई हो जिस पे आपकी इच्छा वाणी।
भूल "बहार" आदम बाबा की पाय गयी उद्धारा।
नाम से जिनके शिव-शंकर को ख़ूब मिला उपचारा।
ओइ्म जय जगदीश पुकारत आरति में संसार।
मुहम्मद दिल से तुमको प्यार मुहम्मद दिल से तुमको प्यार।
🌹सूत्र दुर्वेश हज़रत नानक साहिब द्वारा अबजद रीति से
संख्या×4+2=योग×5÷20=शेष×9=योग+2=92 अर्थात् (मुहम्मद स.अ.व आ.)
-डॉ बहार चिश्ती नियामतपुरी