स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. राष्ट्रीय बालक संरक्षण आयोग की रिपोर्ट 'दिल्ली में भीख मांगने और सामान बेचने वाले बच्चों का त्वरित मूल्यांकन' के अनुसार दिल्ली में कई स्थानों पर बच्चों से भीख मंगवाई जा रही है. यद्यपि यह रिपोर्ट केवल दिल्ली के ही बारे में है, लेकिन बच्चों द्वारा भीख मांगने की प्रवृत्ति देश के अन्य भागों में भी व्याप्त है. मीडिया की रिपोर्टों और लोगों की जानकारी के अनुसार यह सही है कि कई लोग छोटे शिशुओं को अपनी गोद में लेकर भीख मांगते हैं.
महिला और बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा तीरथ ने आज राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि छोटे बच्चों को भिक्षावृत्ति में नियोजित करना और उनके प्रति निर्दयतापूर्ण व्यवहार करना, जो उनके मानसिक अथवा शारीरिक कष्टों का कारण बनता है, वर्ष 2006 में यथा-संशोधित किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध है. इस अधिनियम के अंतर्गत बाल भिखारियों को भी देखरेख एवं संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों की श्रेणी में रखा गया है. हाल ही में शुरू की गई केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम समेकित बाल संरक्षण स्कीम के तहत ऐसे बच्चों को निवारक, देखरेख, संरक्षण और पुनर्वास सेवाएं प्रदान की जाती हैं. एक बार इस स्कीम के देश में पूरी तरह लागू हो जाने के बाद यह आशा की जाती है कि देखरेख और संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों के लिए एक सुखद वातावरण बनेगा.
