स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा है कि निर्वाचन आयोग अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बदलते समाज, राजसत्ता तथा प्रौद्योगिकी के अनुसार तेजी से अपने आपको ढालता रहा है। आज यहां आयोग के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह अवसर एक राष्ट्र के रूप में हमारे लिए आत्मनिरीक्षण का समय है। छह दशक बाद सबसे अच्छा निष्कर्ष यह है कि गिलास न तो खाली है और न ही भरा हुआ है, बल्कि हमने आधे से कुछ अधिक सफर तय किया है। हमने एक स्थायी व्यावहारिक लोकतंत्र की स्थापना की है। लेकिन अब भी, राजनीतिक समानता तथा सामाजिक और आर्थिक असमानता के बीच का अंतर्विरोध संबंधी डॉ. अम्बेडकर का पूर्वाभास सही जान पड़ता है- 'एक व्यक्ति एक वोट', 'एक वोट एक महत्त्व' अब भी हकीकत से दूर जान पड़ रहा है।
उपराष्ट्रपति ने निर्वाचन आयोग की सराहना करते हुए कहा कि संविधान ने जो जिम्मेदारी उसे सौंपी थी उसे उसने अच्छी तरह निभाया है। सन 1950 में चुनाव को बहुत बड़ा लोकतात्रिक प्रयोग के रूप में देखा गया था लेकिन आज इससे सम्बध्द प्रयास, इसके प्रभाव तथा समग्रता को दुनिया स्वीकारती है, लेकिन अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है।
उन्होंने कहा कि कड़े प्रयास के बावजूद बिना लेखा-जोखा वाले चुनावी खर्च में एक बड़ा हिस्सा राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा किया जाने वाला खर्च होता है, जिनमें चुनाव के दौरान मुफ्त शराब, नकदी आदि शामिल हैं। छद्म विज्ञापन, धनराशि देकर अपने हिसाब की खबरें प्रकाशित करना आदि भी होता है। ये सभी हमारे लोकतांत्रिक प्रक्रिया एवं स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव के नाम पर धब्बे हैं। ऐसे में चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों द्वारा आवश्यक कदम उठाना अनिवार्य बन जाता है। दूसरा, विभिन्न दलों के भीतर आंतरिक लोकतंत्र भी जरूरी है।