'सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा!'
बीच सड़क पर, खुले गटर में, गिरा आदमी देकर नारा !!
गणतंत्र-दिवस पर!
महंगाई पर भाषण देकर, हाथ रख फिर दुखती नस पर !!
प्रभातफेरी!
अलसाई छब्बीस जनवरी, ठिठुरन ने करवा दी देरी !!
नई योजनाएं!
गत वर्षों जो नई बनी थीं, कहां सो रही हैं, बतलाएं !!
ध्वजारोहण!
कमर तोड़ती महंगाई में, लिया सभी ने जीने का प्रण ??
सार्वजनिक अवकाश!
खुली दुकानें देख रहा था, भौंचक्का नीला आकाश !!
कुनबेदार!
एक-दूसरे के कष्टों से, पाते खुशियां सभी अपार !!
आयकर!
जीवन भर का टैक्स जमा कर, तब दुनिया को 'बाय' कर !!
टेलीफोन!
कभी-कभी आती है जिसमें, बातचीत को डायल टोन !!
वसूली!
रक़म अधिक हो, फिर भी उसको, सिद्ध करें, है सही, उसूली !!
हार्दिक शुभकामनाएं!
चलो, ठिठुरते नग्न तनों को, मरने से पहले दे आएं !!
-अतुल मिश्र
सूफ़ियाना बसंत पंचमी...
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*फ़िरदौस ख़ान*
सूफ़ियों के लिए बंसत पंचमी का दिन बहुत ख़ास होता है... हमारे पीर की ख़ानकाह
में बसंत पंचमी मनाई गई... बसंत का साफ़ा बांधे मुरीदों ने बसंत के गीत ...