चांदनी
नई दिल्ली. मोटापे या शरीर के अत्यधिक वज़न को कोरोनरी आर्टरी डिसीज और कॉन्जेस्टिव हार्ट फेल्योर का एक मुख्य आशंकित तथ्य माना जाता है। जब मोटापे की वजह से हार्ट पर बोझ बढ़ता है तो इससे दिल का विस्तार भी हो जाता है।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल के मुताबिक मोटापे से बड़ी तादाद में लोग अपंग हो जाते हैं और कुछ मामलों में मौत भी हो जाती है। इसके अलावा व्यक्ति कई अन्य बीमारियां जैसे जोड़ों की समस्या, अथीरोस्लेरोसिस (धमनियों का सख्त हो जाना), हाइपरटेंशन और खासकर मोटी महिलाओं में गालस्टोन की समस्याएं होना शामिल हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में उल्टाव किया जा सकता है अगर मरीज अतिरिक्त वज़न पर ध्यान दे। लेकिन वज़न में कमी आहिस्ता-आहिस्ता होनी चाहिए और इसमें बढ़ोतरी नहीं सिर्फ गिरावट होनी चाहिए। ऐसा दोबारा बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
एक व्यक्ति को मोटा तब कहा जा सकता है जब उसका वज़न सामान्य वज़न से 10 फीसदी ज्यादा हो जाए, मानक वज़न व्यक्ति की लम्बाई और आकार के हिसाब से तय होता है। तोंद का मोटापा तब होता है जब कमर की चौड़ाई कूल्हे की चौड़ई से अधिक होती है जो ज्यादा खतरनाक हैं। शरीर में वज़न तब बढ़ने लगता है जब व्यक्ति अपनी शारीरिक गतिविधि की जरूरत और वध्दि के हिसाब से कहीं ज्यादा कैलोरी लेने लगता है। वज़न कम करने का आधारभूत सिध्दांत यही है कि व्यक्ति खाने को बढ़ाने के बजाय अपनी कैलोरी में कमी लाए। इसके लिए ''ज्यादा चलें और कम खाएं'' का सुझाव दिया जाता है। रोजाना आधे घंटे तक साइकिल चलाना और तेज गति से चलना भी इसमें मददगार साबित हो सकता है।
लोग हफ्ते में एक बार भोजन न करें; मोटे लोगों को चाहिए कि वे बहुत ज्यादा मीठा, खट्टा और नमकीन खाने से परहेज करें। वे कड़वी चीजों जैसे नीम, करेला और भेल व अदरक का अधिक से अधिक सेवन करें।