फ़िरदौस ख़ान
मानव सभ्यता में रंगों का काफ़ी महत्व रहा है. हर सभ्यता ने रंगों को अपने तरीक़े से अपनाया. दुनिया में रंगों के इस्तेमाल को जानना भी बेहद दिलचस्प है. कई सभ्यताओं को उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों की वजह से ही पहचाना गया. विक्टोरियन काल में ज़्यादातर लोग काला या स्लेटी रंग इस्तेमाल करते थे. एक तरह से ये रंग इनकी पहचान थे. फ़िरऔन हमेशा काले कपड़े पहनता था. वैसे भी हर रंग के अपने सकारात्मक और नकारात्मक असर होते हैं. इसलिए यह नहीं कर सकते कि काला रंग हमेशा बुरा ही होता है. हालांकि कई सभ्यताओं में इसे शोक का रंग माना जाता है. शिया मोहर्रम के दिनों में ज़्यादातर काले कपड़े ही पहनते हैं. विरोध जताने के लिए भी काले रंग का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे काले झंडे दिखाना, सर पर काला कपड़ा या काली पट्टी बांध लेना. ऐसा इस्लामी देशों में ज़्यादा होता है, लेकिन अब भारत में भी इस तरह विरोध जताया जाने लगा है, विशेषकर बाबरी मस्जिद की शहादत की बरसी यानी छह दिसंबर को मुस्लिम समुदाय के लोग काली पट्टी बांधकर ही अपना विरोध ज़ाहिर करते हैं.

महान दार्शनिक अरस्तु ने 4 ईसा पूर्व में नीले और पीले रंगों की गिनती शुरुआती रंगों में की. उन्होंने इसकी तुलना प्राकृतिक वस्तुओं से की, जैसे सूरज-चांद और दिन-रात आदि. उस वक़्त ज़्यादातर कलाकारों ने उनके सिद्धांत को माना और तक़रीबन दो हज़ार साल तक इसका असर देखने को मिला. इसी बीच मेडिकल प्रेक्टि्स के पितामाह कहे जाने वाले 11वीं शताब्दी के ईरान के चिकित्सा विशेषज्ञ हिप्पोकेट्स ने अरस्तु के सिद्धांत से अलग एक नया सिद्धांत पेश किया. उन्होंने रंगों का इस्तेमाल दवा के तौर पर किया और इसे इलाज के लिए बेहतर ज़रिया क़रार दिया. उनका मानना था कि सफ़ेद फूल और वॉयलेट फूल के अलग-अलग असर होते हैं. उन्होंने एक और सिद्धांत दिया, जिसके मुताबिक़ हर व्यक्ति की त्वचा के रंग से भी उसकी बीमारी का पता लगाया जा सकता है और रंगों के ज़रिये ही इसका इलाज भी मुमकिन है. उन्होंने इसका ख़ूब इस्तेमाल भी किया.

15वीं शताब्दी में स्विट्जरलैंड के चिकित्सक वॉन होहेनहैम ने ह्यूमन स्टडी पर काफ़ी शोध किया, लेकिन उनके तरीक़े हमेशा विवादों में रहे. उन्होंने ज़ख्म भरने के लिए रंगों का इस्तेमाल किया. 17-18वीं शताब्दी में न्यूटन के सिद्धांत ने अरस्तु के विशेष रंगों को सामान्य रंगों में बदल दिया. 1672 में न्यूटन ने रंगों पर अपना पहला परचा पेश किया. यह काफ़ी विवादों में रहा, क्योंकि अरस्तु के सिद्धांत के बाद इसे स्वीकार करना इतना आसान नहीं था. रंगों के विज्ञान पर काम करने वाले लोगों में जॉन्स वॉल्फगैंग वॉन गौथे भी शामिल थे. उन्होंने न्यूटन के सिद्धांत को पूरी तरह नकारते हुए थ्योरी ऑफ कलर पेश की. उनके सिद्धांत अरस्तु की थ्योरी से मिलते जुलते थे. उन्होंने कहा कि अंधेरे में से सबसे पहले नीला रंग निकलता है, वहीं सुबह के उगते हुए सूरज की किरणों से पीला रंग सामने आता है. नीला रंग गहरे रंगों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि पीला रंग हल्के रंगों का. 19वीं शताब्दी में कलर थैरेपी का असर कम हुआ, लेकिन इसके बाद 20वीं शताब्दी में यह नए रूप में सामने आया. आज भी कई चिकित्सक कलर थैरेपी को इलाज का अच्छा ज़रिया मानते हैं और इससे अनेक बीमारियों का उपचार भी करते हैं. आयुर्वेद चिकित्सा में भी रंगों का विशेष महत्व है. रंग चिकित्सा के मुताबिक़ शरीर में रंगों के असंतुलन के कारण ही बीमारियां पैदा होती हैं. रंगों का समायोजन ठीक करके बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है. ऑस्टवाल्ड ने आठ आदर्श रंगों को विशेष क्रम में संयोजित किया. इस चक्र को ऑस्टवाल्ड वर्ण कहा जाता है. इसमें पीला, नारंगी, लाल, बैंगनी, नीला, आसमानी, समुद्री हरा और हरा रंग शामिल है. 60 के दशक में एंथ्रोपॉलिजिस्ट्स केन ने रंगों पर अध्ययन किया. उनके मुताबिक़ सभी सभ्यताओं ने रंगों को दो वर्गों में बांटा-पहला हल्के रंग और दूसरा गहरे रंग.

कौन-सा रंग क्या कहता है?
मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है. ये सात रंग हैं लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला और बैंगनी. लाल रंग को रक्त रंग भी कहते हैं, क्योंकि ख़ून का रंग लाल होता है. यह शक्ति का प्रतीक है, जो जीने की इच्छाशक्ति और अभिलाषा को बढ़ाता है. यह प्रकाश का संयोजी प्राथमिक रंग है, जो क्यान रंग का संपूरक है. यह रंग क्रोध और हिंसा को भी दर्शाता है. हरा रंग प्रकृति से जुड़ा है. यह ख़ुशहाली का प्रतीक है. हमारे जीवन में इसका बहुत महत्व है. यह प्राथमिक रंग है. हरे रंग में ऑक्सीजन, एल्यूमीनियम, क्रोमियम, सोडियम, कैल्शियम, निकिल आदि होते हैं. इस्लाम में इसे पवित्र रंग माना जाता है. नीला रंग आसमान का रंग है. यह विशालता का प्रतीक है. भारत का क्रीड़ा रंग भी नीला ही है. यह धर्मनिरपेक्षता का भी प्रतीक है. यह एक संयोजी प्राथमिक रंग है. इसका संपूरक रंग पीला है. गहरा नीला रंग अवसाद और निराशा को भी प्रकट करता है. पीला रंग ख़ुशी और रंगीन मिज़ाजी को दर्शाता है. यह आत्मविश्वास बढ़ाता है. यह वैराग्य से भी संबंधित है. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. विष्णु और कृष्ण को यह रंग प्रिय है. बसंत पंचमी तो इसी रंग से जुड़ा पर्व है. डल पीला रंग ईर्ष्या को दर्शाता है. स़फेद रंग पवित्रता और निर्मलता का प्रतीक माना जाता है. यह शांति और सुरक्षा का भाव पैदा करता है. यह अकेलेपन को भी प्रकट करता है. काला रंग रहस्य का प्रतीक है. यह बदलाव से रोकता है. यह नकारात्मकता को भी दर्शाता है.
(लेखिका स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं)
ईमेल : editor.starnewsagency@gmail.com


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • नजूमी... - कुछ अरसे पहले की बात है... हमें एक नजूमी मिला, जिसकी बातों में सहर था... उसके बात करने का अंदाज़ बहुत दिलकश था... कुछ ऐसा कि कोई परेशान हाल शख़्स उससे बा...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • डॉ. फ़िरदौस ख़ान - डॉ. फ़िरदौस ख़ान एक इस्लामी विद्वान, शायरा, कहानीकार, निबंधकार, पत्रकार, सम्पादक और अनुवादक हैं। उन्हें फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से ...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं