हिंदी की जय जयकार करें
हिंदी जन -मन की अभिलाषा।
यह राष्ट्र-प्रेम की परिभाषा।
भारत जिसमें प्रतिबिम्बित है।
यह ऐसी प्राणमयी भाषा।
पहचानें अपनी परंपरा ,
फिर संस्कृति का सत्कार करें।
भावों का सरस प्रबन्ध यही
अपनेपन का अनुबंध यही
जोड़े मुझको , तुमसे , उनसे
रिश्तों की मधुर सुगन्ध यही
हिंदी प्राणों की ऊर्जा है
तन से , मन से स्वीकार करें
यह विद्यापति का गान अमर
'मानस' का स्वर-संधान अमर
ब्रज की रज में लिपटा-लिपटा
यह अपना ही रसखान अमर
पहचानें जरा जायसी को
फिर भावों का सम्भार करें
वीरत्व, ओज साकार यहाँ
भूषण की दृढ़ हुंकार यहाँ
चिड़ियों से बाज लड़ाऊँगा
गुरु गोविंद की ललकार यहाँ
पहचानें स्वर की शक्ति प्रखर
दृढ़ता का ऋण स्वीकार करें
हिंदी दादी की दन्त कथा
मां की लोरी की यही प्रथा
अनुभव दुनिया का लिए हुए
यह है बाबा की रामकथा
हिंदी बहिनों की राखी है
तन-मन, प्राणों से प्यार करें
-डॉ रामसनेही लाल शर्मा 'यायावर'
फ़िरोज़ाबाद