क्या वसंत का मोल है जब न प्रियतम पास?
कोयल की हर कूक में पिया मिलन की आस।।
अमराई के संग में पीले सरसों फूल।
किसके सर बिन्दी लगे किसके माथे धूल।।
रस कानों में घोलती मीठी कोयल-तान।
उस मिठास के दर्द से प्रायः सब अनजान।।
पतझड़ ने आकर कहा आये द्वार वसंत।
नव-जीवन सबके लिए विरहिन खोजे कंत।।
सुमन सरस होता गया मिला जहां ऋतुराज।
रोटी जिसको न मिले बेचे तन की लाज।।
-श्यामल सुमन
नजूमी...
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कुछ अरसे पहले की बात है... हमें एक नजूमी मिला, जिसकी बातों में सहर था...
उसके बात करने का अंदाज़ बहुत दिलकश था... कुछ ऐसा कि कोई परेशान हाल शख़्स उससे
बा...
