फ़िरदौस ख़ान
सियासत  के लिहाज़ से देश के सबसे महत्वपूर्ण प्रांत उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में महज़ कुछ ही महीने रह गए हैं. लेकिन अभी तक कांग्रेस अपने संगठन को मज़बूती से खड़ा तक नहीं कर पाई है.  कभी यहां कांग्रेस जन-जन की पार्टी हुआ करती थी. आज हालत यह है कि पार्टी का बूथ स्तर का संगठन भी उतना मज़बूत नहीं है, जितना होना चाहिए. कांग्रेस को अगर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अच्छे नतीजे हासिल करने हैं, तो इसके लिए उसे बिना वक़्त गंवाये अपने संगठन को मज़बूत करना होगा.  उसे प्रदेश की बागडोर किसी युवा के हाथ में सौंपनी होगी. जतिन प्रसाद और आरपीएन सिंह भी यह ज़िम्मेदारी बख़ूबी निभा सकते हैं. ये दोनों ही पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के क़रीबी माने जाते हैं.


हालांकि उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनज़र कांग्रेस ने पार्टी की प्रदेश इकाई में बदलाव करना शुरू कर दिया है. हाल ही में पार्टी के प्रदेश प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री को हटाकर ग़ुलाम नबी आज़ाद को प्रभारी बनाया गया है. पार्टी अध्यक्ष निर्मल खत्री को भी बदले जाने के आसार हैं. विधानमंडल के नेता प्रदीप माथुर का बदला जाना भी तय माना जा रहा है.
कांग्रेस में बग़ावत भी थमने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस के छह विधायकों ने उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव में क्रॊस वोटिंग की.  विधायक संजय प्रताप जायसवाल, माधुरी वर्मा, विजय दुबे, मोहम्मद मुसलिम, दिलनवाज़ और नवाब काज़िम अली ख़ान ने पार्टी उम्मीदवार कपिल सिब्बल के ख़िलाफ़ मतदान किया. बाद में राहुल गांधी के निर्देश पर इन सभी विधायकों को निष्कासित कर दिया गया. राहुल गांधी के इस कड़े रुख़ से संगठन को मज़बूती मिलेगी. इस तरह पार्टी के प्रति ईमानदार और आस्थावान नेताओं और कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जाएगा.

उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर कांग्रेस काफ़ी सतर्क है. चुनावी रण में अपने उम्मीदवारों के नाम तय करने में भी पार्टी काफ़ी सूझबूझ से काम लेना चाहती है. प्रदेश के सभी ज़िलों से 25 तक पैनल भेजे जाने तय किए गए हैं. पार्टी के प्रदेशाध्क्ष निर्मल खत्री ने पत्र जारी कर चुनाव लड़ेने वाले मज़बूत दावेदारों का पैनल ज़िलाध्यक्षों से मांगा हुआ है. जुलाई के पहले हफ़्ते में ही पैनल में से एक नाम पर मुहर लगा दी जाएगी. फिर अगस्त के पहले हफ़्ते में उम्मीदवारों की फ़ेहरिस्त जारी करने तैयारी होगी. फ़िलहाल सिटिंग विधायक वाली सीटों पर  पैनल नहीं बनवाया गया है. छह विधायकों के क्रॊस वोटिंग करने से पार्टी  कशमकश में  है. कांग्रेस विधायकों की सत्यनिष्ठा  को परखने के बाद ही अब टिकट तय करेगी.

कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश की चुनावी नैया पार करना आसान नहीं है. पार्टी की मुश्किल यह है कि वह पिछले काफ़ी अरसे से उत्तर प्रदेश में कोई ख़ास करिश्मा नहीं दिखा पा रही है. पार्टी के पास नेताओं की एक बड़ी फ़ौज होने के बावजूद कोई ऐसा चेहरा नहीं है, पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भर सके. कांग्रेस के मुक़ाबले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का संगठन ज़्यादा मज़बूत नज़र आता है. यहां कांग्रेस को ऐसे नेता की ज़रूरत है, जो सीधा जनमानस और ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं से संवाद क़ायम कर सके. यहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पहले से ही तय है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि उनका मुख्यमंत्री पर का उम्मीदवार कौन होगा. समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की तरफ़ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, इसमें कोई शक नहीं है. बहुजन समाज पार्टी में मायावती के अलावा कोई और इस पद का उम्मीदवार नहीं है. भारतीय जनता पार्टी में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह हैं, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को भी मौक़ा मिल सकता हैं. वह पार्टी के पिछड़े वर्ग का चेहरा हैं. उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग का एक बड़ा वोट बैंक है. पहले कांग्रेस, फिर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी पिछ्ड़े वर्ग के समर्थन की वजह से ही सत्ता तक पहुंच पाई हैं. इनके अलावा भाजपा की तरफ़ से मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी और सांसद योगी आदित्यनाथ के नाम भी लिए जा सकते है. मगर कांग्रेस की तरफ़ से अभी कोई ऐसा चेहरा सामने नहीं आया, जिसे मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जा सके. क़ाबिले-ग़ौर है कि कभी उत्तर प्रदेश में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस में नारायण दत्त तिवारी के बाद कोई मुख्यमंत्री नहीं बन पाया. वह 1988-1989 तक मुख्यमंत्री रहे.

पिछले दिनों देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जिस तरह क्षेत्रीय दलों ने बेहतर प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए राष्ट्रीय दलों को यह बात समझ आ गई कि क्षेत्रीय दलों को हल्के में नहीं लिया जा सकता. देश में क्षेत्रीय दलों की महत्ता बढ़ी है. जनता भी अब क्षेत्रीय नेताओं को तरजीह देती है. बाहरी नेताओं के मुक़ाबले क्ष्रेत्रीय नेता अपने इलाक़े की समस्याओं को बेहतर समझते हैं. उन्हें मालूम होता है कि जनता क्या चाहती है. इसके अलावा अपने इलाक़े में उनकी हालत काफ़ी मज़बूत होती है. इलाक़े के कार्यकर्ताओं से भी उनका रिश्ता मज़बूत होता है.

अब कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति बनाते वक़्त कई बातों को ज़ेहन में रखना होगा. उसे सभी वर्गों का ध्यान रखते हुए अपने पदाधिकारी तक करने होंगे. टिकट बंटवारे में भी एहतियात बरतनी होगी. विधानसभा स्तर के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी विश्वास में लेना होगा, क्योंकि जनता के बीच तो इन्हीं को जाना है. अगर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद का मज़बूत उम्मीदवार चुन लिया और बूथ स्तर तक पार्टी संगठन को मज़बूत कर लिया, तो बेहतर नतीजों की उम्मीद की जा सकती है. राहुल गांधी को चाहिए कि वे पार्टी के आख़िरी कार्यकर्ता तक से संवाद करें. उनकी पहुंच हर कार्यकर्ता तक और कार्यकर्ता की पहुंच राहुल गांधी तक होनी चाहिए, फिर कांग्रेस को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा.

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

ईद मिलाद उन नबी की मुबारकबाद

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • देश सेवा - नागरिक सुरक्षा विभाग में बतौर पोस्ट वार्डन काम करने का सौभाग्य मिला... वो भी क्या दिन थे... जय हिन्द बक़ौल कंवल डिबाइवी रश्क-ए-फ़िरदौस है तेरा रंगीं चमन त...
  • ग़ुज़ारिश : ज़रूरतमंदों को गोश्त पहुंचाएं - ईद-उल-अज़हा का त्यौहार आ रहा है. जो लोग साहिबे-हैसियत हैं, वो बक़रीद पर क़्रुर्बानी करते हैं. तीन दिन तक एक ही घर में कई-कई क़ुर्बानियां होती हैं. इन घरों म...
  • Rahul Gandhi in Berkeley, California - *Firdaus Khan* The Congress vice president Rahul Gandhi delivering a speech at Institute of International Studies at UC Berkeley, California on Monday. He...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • देश सेवा... - नागरिक सुरक्षा विभाग में बतौर पोस्ट वार्डन काम करने का सौभाग्य मिला... वो भी क्या दिन थे... जय हिन्द बक़ौल कंवल डिबाइवी रश्क-ए-फ़िरदौस है तेरा रंगीं चमन त...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं