सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट का निर्णय पलटते हुए सेल्फ डिफेंस का दायरा और स्पष्ट किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि परिजनों के साथ मारपीट हो रही हो और उनके बचाव के लिए कानून हाथ में लिया जाता है तो यह कोई अपराध नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि पेरेंट्स के साथ मारपीट होती देखकर किसी भी व्यक्ति को सेल्फ डिफेंस का अधिकार है। राजस्थान के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में दो लोगों को पड़ोसियों के साथ मारपीट करने के मामले में दो सजा सुनाई गई थी। मामला हाईकोर्ट पहुंचा, वहां भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया। इसके बाद पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस शिव कीर्ति सिंह को आरोपियों ने बताया कि दोनों ने अपने परिजनों पर हमला होता देख आक्रामक रुख अपनाया था। 

परिजनों को बचाने के दौरान उन्हें भी चोटें आईं। दूसरी ओर, मामले में पुलिस यह नहीं बता पाई कि इन दोनों को जो चोटें आई थीं, वे कैसे आईं। इसके अलावा अगर ये दोनों किसी से मारपीट करते तो दोनों को इतनी ज्यादा चोटें कैसे गई।

दोनों आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी चोटें भी दिखाईं थीं। उन्होंने यह भी बताया कि बीच-बचाव करने के बावजूद उनके पिता की इस हमले में मौत हो गई थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर परिजनों के साथ मारपीट हो रही है तो अपीलकर्ता को विधिक तौर पर अपनी ताकत का इस्तेमाल करने का अधिकार है।

दरअसल  भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 96 से धारा 106 के तहत आत्मरक्षा के अधिकार का प्रावधान है। आत्मरक्षा कानून, एक व्यक्ति को आपराधिक दायित्व से बचाकर खुद को नुकसान या खतरे से बचाने की अनुमति देता है। आत्मरक्षा के बारे में कुछ खास बातेंः 
 
आत्मरक्षा का अधिकार हर स्वतंत्र देश में माना जाता है।
आत्मरक्षा में किया गया कोई भी प्रदर्शन अपराध नहीं है।
 
आत्मरक्षा के अधिकार का इस्तेमाल घातक बल के साथ तभी किया जा सकता है, जब मृत्यु या गंभीर शारीरिक क्षति का खतरा हो। 
 
आत्मरक्षा के तहत, किसी व्यक्ति को अपने शरीर और किसी और के शरीर पर होने वाले हमले या अत्याचार को रोकने का अधिकार है।
 
आत्मरक्षा के तहत, संपत्ति की चोरी, डकैती, या उस पर शरारतपूर्ण या आपराधिक रवैया रखने से रोकने का अधिकार है।
 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति अपने माता-पिता या परिवार पर हमला होता देखता है, तो उसे बचाव में कानून का इस्तेमाल करने का अधिकार है। 
 
आत्मरक्षा के कुछ और नियम
आत्मरक्षा का दावा करने वाला व्यक्ति उस स्थिति में हमलावर नहीं होना चाहिए जिसके कारण उसे खुद का बचाव करने की ज़रूरत पड़े। 

अगर परिवार पर हमला हो, तो कानून हाथ में लिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर परिजनों के साथ मारपीट हो रही है, तो उनके बचाव के लिए कानून हाथ में लेना कोई अपराध नहीं है। 

सुप्रीम कोर्ट ने यह फ़ैसला राजस्थान के एक मामले में सुनाया था. इस मामले में, दो लोगों को पड़ोसियों के साथ मारपीट करने के मामले में दोषी ठहराया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया था। 
 
आत्मरक्षा के बारे में कुछ और बातें: 
भारतीय कानून में आत्मरक्षा का प्रवधांन भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 96 से 106 के तहत आत्मरक्षा के अधिकार के रूप में निर्धारित किया गया है।
 
IPC की धारा 100 विशेष रूप से शरीर की निजी रक्षा के अधिकार से संबंधित है. 
 
धारा 97 के तहत, हर व्यक्ति को अपने शरीर या किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर या अपनी या किसी दूसरे व्यक्ति की संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार है. 
 
संपत्ति भले ही चल हो या अचल हो, उसकी चोरी, डकैती, उसके ख़िलाफ़ शरारतपूर्ण या आपराधिक रवैया रखना या उसका प्रयास करने से रोकना भी आत्मरक्षा की श्रेणी में आता है. 

प्रस्तुति : एडवोकेट रफ़ीक़ चौहान 


أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ

أنا أحب محم صَلَّى ٱللّٰهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلَّمَ
I Love Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam

फ़िरदौस ख़ान का फ़हम अल क़ुरआन पढ़ने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें

या हुसैन

या हुसैन

फ़िरदौस ख़ान की क़लम से

Star Web Media

सत्तार अहमद ख़ान

सत्तार अहमद ख़ान
संस्थापक- स्टार न्यूज़ एजेंसी

ई-अख़बार पढ़ें

ब्लॉग

  • नजूमी... - कुछ अरसे पहले की बात है... हमें एक नजूमी मिला, जिसकी बातों में सहर था... उसके बात करने का अंदाज़ बहुत दिलकश था... कुछ ऐसा कि कोई परेशान हाल शख़्स उससे बा...
  • कटा फटा दरूद मत पढ़ो - *डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी *रसूले-करीमص अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरे पास कटा फटा दरूद मत भेजो। इस हदीसे-मुबारक का मतलब कि तुम कटा फटा यानी कटा उसे क...
  • Dr. Firdaus Khan - Dr. Firdaus Khan is an Islamic scholar, poetess, author, essayist, journalist, editor and translator. She is called the princess of the island of the wo...
  • میرے محبوب - بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا گناہ مانا جات...
  • डॉ. फ़िरदौस ख़ान - डॉ. फ़िरदौस ख़ान एक इस्लामी विद्वान, शायरा, कहानीकार, निबंधकार, पत्रकार, सम्पादक और अनुवादक हैं। उन्हें फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से ...
  • 25 सूरह अल फ़ुरक़ान - सूरह अल फ़ुरक़ान मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 77 आयतें हैं. *अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. वह अल्लाह बड़ा ही बाबरकत है, जिसने हक़ ...
  • ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ - ਅੱਜ ਆਖਾਂ ਵਾਰਿਸ ਸ਼ਾਹ ਨੂੰ ਕਿਤੋਂ ਕਬੱਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬੋਲ ਤੇ ਅੱਜ ਕਿਤਾਬੇ-ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਕੋਈ ਅਗਲਾ ਵਰਕਾ ਫੋਲ ਇਕ ਰੋਈ ਸੀ ਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤੂੰ ਲਿਖ ਲਿਖ ਮਾਰੇ ਵੈਨ ਅੱਜ ਲੱਖਾਂ ਧੀਆਂ ਰੋਂਦੀਆਂ ਤ...

एक झलक

Followers

Search

Subscribe via email

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

साभार

इसमें शामिल ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं