रूप सलोना छवि मनमोहक, जालिम अत्याचारी हो!
दीन धरम ईमान लुटैया, ज़ोरावर बलधारी हो!
दीन धरम ईमान लुटैया, ज़ोरावर बलधारी हो!
देखन में तो भोले-भाले, बैठे हो मासूम बने,
चितवन से दोनहुँ जग लूटे, धोखेबाज़ शिकारी हो!
तुम किरपालू दीन दयालू, ममता समता के सागर,
संकट मोचन नाग नथैया, मुरलीधर गिरधारी हो!
भेदी के इस भेद को हमने, सुन्दर ढ़ँग से भेद लिया,
अन्दर से तुम अन्दर वाले, बाहर से संसारी हो!
अर्चन वंदन पूजन सुमिरन, सब्रो-शुक्र महब्बत में,
शक्लो-सूरत सीरत से तुम, हैदर के परिवारी हो!
बाज़ारे-महबूबे-ख़ुदा से, सौदा ले के महशर का,
दस्ते-ख़ुदा में सौंपने वाले, अति उत्तम व्यापारी हो!
नर सेवा नारायण सेवा, में तत्पर रहते निस-दिन,
भूल के अपनी रंज मुसीबत, ऐसे पर उपकारी हो।
नाम कमाई की दौलत के, अन गिनती भण्डार भरे,
संतशिरोमणि अदभुत अनुपम सीस पे छत्तरधारी हो।
साईं के पग सीस नवा के, दास की है अरदास यही,
पहला सुख सन्तोष की दौलत, दे दो तुम भण्डारी हो।
दास "बहार" सदा कहता है, गुरुवर तुम ज्ञानी ध्यानी,
तुम त्यागी तुम अनुरागी तुम, चक्र सुदर्शन धारी हो।
रहमत सिबग़त सिबग़त रहमत ज़ात"बहार"एकहि पाये
ज़ाहिर बातिन तुम क़ुदरत के, परदों की भरमारी हो।
-डॉ. बहार चिश्ती नियामतपुरी
06 जून 2023